भारतीय संस्कारों को विदेश में जीवित रखना हमारा परम लक्ष्य – ललिता माथुर चैहान

भारतीय संस्कारों को विदेश में जीवित रखना हमारा परम लक्ष्य – ललिता माथुर चैहान
सवाई माधोपुर 8 मई। जहां एक ओर भारत में रह रहे युवा पश्चिमी सभ्यता की तरफ आकर्षित हो रहे हैं वहीं भारत से 6 हजार किलोमीटर दूर अफ्रीका में एक महिला भारतीय संस्कृति की ध्वजवाहक बनी हुई है। ऐसा ही एक नाम है ललिता माथुर चैहान का जिनका कहना है भारतीय संस्कारों को विदेश में जीवित रखना हमारा परम लक्ष्य है। आप समय समय पर भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के लिए विभिन्न आयोजन करती रहती हैं।
ललिता जी पूर्वी अफ्रिका के एक देश तंजानिया में “इनक्रिडेबल नारी“ की संस्थापिका हैं। गत 1 मई को कोरोना महामारी के शमन और समस्त मानवता की रक्षा हेतु तंजानिया, अफ्रिका के शहर दार एस सलाम में श्री सनातन धर्म सभा मन्दिर में प्रवासी भारतीयों द्वारा ग्यारह कुण्डीय महारुद्र यज्ञ, महामृत्युंजय एवं महामारी नाशक मंत्र जप और नवग्रह शान्ति जैसे अनुष्ठानों के माध्यम से ईश्वरीय प्रार्थनाएँ की गईं। पं शास्त्री पराग भट्ट और पं हरीश कुमार दवे के मंत्रोच्चार और यज्ञ आहुतियों से वातावरण दैवीय सा हो गया।
इस आध्यात्मिक अनुष्ठान का आयोजन इन्क्रेडिबल नारी (तंजानिया, अफ्रीका) समूह द्वारा इसकी संस्थापिकाओं ललिता माथुर चैहान और जया चैधरी की पहल पर किया गया। भारत से बाहर रहते हुए भी मानवता के प्रति ऐसे अनुष्ठानों के आयोजन की प्रेरणा का श्रेय निश्चय ही भारतीय संस्कृति को ही जाता है, पर ललिता और इनक्रैडेबिल नारी ने तंजानिया में इसे जीवित कर रखा है।
इनक्रेडिबल नारी तंजानिया की एक सशक्त संस्था है जिसमें 2 हजार से ज्यादा महिलाएँ सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। संस्था समय समय पर नारी उत्थान तथा अन्य सामाजिक कल्याण के कार्यक्रम आयोजित कराती रहती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से संस्था “सर्वे भवंतु सुखिनः“ का संदेश विश्व भर में स्थापित करना चाहती है।
कार्यक्रम में 100 से ज्यादा प्रवासी भारतीयों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया भारतीय उच्चायोग के स्वामी विवेकानन्द सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक संतोष की इस कार्यक्रम में शोभनीय उपस्थिति रही साथ ही दार ए सलाम गायत्री परिवार के सरला बेन ठकराल, किशोर भाई ठकराल और उनकी टीम ने इस कार्यक्रम के आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
प्रभा शर्मा, शिखा वोहरा, नीलिमा सिंह, शिवाली पाठक, सिल्की गोयल, नेहा घटूरे और बिंदिया वसानी ने अपने पतियों के साथ मिलकर इस अनुष्ठान को सम्पादित कराने में भर्सक सहयोग दिया।अनुष्ठान में सभी प्रवासी हिंदू समुदायों के सदस्यों की प्रतिभागिता रही।