हम जीतेंगे – पाॅजिविटी अनलिमिटेड का उल्लेख करें तो अच्छा रहेगा – मुनि श्री प्रमाण सागर जी

हम जीतेंगे – पाॅजिविटी अनलिमिटेड का उल्लेख करें तो अच्छा रहेगा – मुनि श्री प्रमाण सागर जी
सवाई माधोपुर 14 मई। महामारी भयानक है। आए दिन हम लोग रोज सुन रहे हैं संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है और मृतकों की भी संख्या बढ़ रही है। अस्पताल भरे पड़े हैं। लोगों को जगह नहीं मिल रही है। निश्चित ये बहुत त्रासदीपूर्ण काल है। लेकिन ऐसे समय में एक संदेश मैं लोगों को देना चाहता हूं. सबसे पहले उन लोगों को जो आज इस महामारी के शिकार हुए हैं, जो आज अपनी चिकित्सा ले रहे हैं, जो अस्पतालों में हैं। मैं उन सबसे कहना चाहता हूं कि मन को मजबूत बनाओ, घबराइए मत. बीमारी आई है, जाएगी. ये बीमारी आई है इसका मतलब ये नहीं कि बीमारी आई है तो मौत ही आ गई। मन को अच्छा रखिए। यदि आपका मन मजबूत होगा तो आप इस बीमारी को चुटकियों में हरा सकते हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि ज्यादातर लोग ठीक हो जाते हैं, 85 प्रतिशत लोगों को तो पता ही नहीं चलता बीमारी आई और चली गई। कुछ लोगों को जो थोड़ा हल्का-फुल्का लक्षण होता है, उनको चिकित्सा की जरूरत होती है और कुछ लोगों को विशेष चिकित्सा की होती है और कुछ लोग होते हैं जो मॉडरेट हो जाते हैं। लेकिन घबराने की बात बिलकुल नहीं होनी चाहिए. मन को मजबूत बनाओ, सबसे पहले तो मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं जो कहीं से संक्रमित या बीमार हैं, ये सोचें कि मैं ठीक हो जाऊंगा. ये बीमारी अल्पकालिक है। जैसे अन्य बीमारियों का इलाज होता है, इसका भी होगा. मैं चिकित्सा लूंगा और ठीक हो जाऊंगा, मैं ठीक हो सकता हूं. और दूसरी बात अपने भीतर आध्यात्मिक दृष्टि रखें कि ये बीमारी तन को है, मन को नहीं. तन की बीमारी के सौ इलाज हैं, मन की बीमारी का कोई इलाज नहीं. इसलिए मैं सबसे कहना चाहूंता हूं, इस तन की बीमारी को मन पर हावी मत होने दें।
जिनके लंग्स 80 प्रतिशत तक खराब हो गए वे लोग भी मनोबल के बल पर आज इस बीमारी को मात देकर स्वस्थ्य होकर घर पहुंच गए. तो मेरा सबसे ये कहना है कि सबसे पहले तो अपने मन को मजबूत बनाओ कि नहीं, ये बीमारी आई है पर ये ऐसी नहीं है कि मुझे लेकर जाएगी. अभी मुझे जीना है।
दूसरी बात अपने अंदर आध्यात्मिक दृष्टि रखिये कि ये शरीर में बीमारी है। शरीर का जन्म होता है, शरीर का मरण होता है। अगर बीमारी आई तो इस शरीर में आई है और इस बीमारी के प्रभाव से अगर विनाश भी होगा तो इस शरीर का होगा। मेरा न कभी जन्म हुआ है, न मेरी कभी मृत्यु होगी, न मुझे कोई रोग होगा, न मेरा अंत होगा. इसलिए मैं किस बात से डरूं. न मे मृत्युरू कुतो भीति।।जब मैं मृत्यु रूप हूं ही नहीं तो डर किसका, मन को मजबूत बनाइए. इससे बिलकुल मत घबराइए।
हम स्वस्थ्य रहें औरों को भी स्वस्थ्य रखने की कोशिश करें. बार-बार जो अस्वस्थता का जो अनुभव होता है वो एक वाक्य को दोहराएं
स्वस्थोहम् स्वस्थोहम् स्वस्थोहम् – मैं स्वस्थ हूं, मैं स्वस्थ हूं, मैं स्वस्थ हूं।.और मैं आत्मा हूं, शुद्ध आत्मा हूं – शुद्धोहम् शुद्धोहम् शुद्धोहम् की धुन अपने अंदर रखें, ये आपके मन को मजबूती देगा और आप इस बीमारी को हराकर बाहर लौट सकेंगे। जिन लोगों का मनोबल ऊंचा हुआ है वे बाहर आए हैं और उम्र दराज लोग भी इसे हराकर वापस आए हैं। लेकिन, जिन लोगों ने ये सोचा कि अब तो मैं बचूंगा नहीं, अब तो मैं बचूंगा नहीं, अब तो मैं बचूंगा नहीं जो अपने जीवन से हार गए, वे घर लौट कर नहीं आ पाए। इसलिए सभी लोग अपने मन को मजबूत करें और अंतिम सांस तक संघर्ष करें. मेरी जितनी सांसे हैं। मुझे जीवंतता से जीनी है और अपने जीवन को धन्य करना है। यही मेरा सभी के लिए मार्गदर्शन है और आर्शीवाद भी है।