कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों का सहारा बनेगी मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना

कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों का सहारा बनेगी मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना
सवाई माधोपुर 13 जून। कोरोना के कारण माता-पिता दोनों को अथवा एकल जीवित माता या पिता को खोने वाले बेसहारा बच्चों को मुख्यमंत्री कोरोना बाल कल्याण योजना के तहत तत्काल सहायता के रूप में एक लाख रूपये का एकमुश्त अनुदान तथा 18 वर्ष पूरे होने तक ढाई हजार रूपये की राशि प्रतिमाह दी जाएगी। अनाथ बालक-बालिका के 18 वर्ष की उम्र होने पर उसे 5 लाख रूपये एकमुश्त सहायता दी जाएगी। ऐसे बच्चों को 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की सुविधा आवासीय विद्यालय अथवा छात्रावास के माध्यम से निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।
कोविड- 19 महामारी के कारण बेसहारा हुई कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों में प्राथमिकता के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। कॉलेज में पढ़ने वाले बेसहारा छात्रों को अंबेडकर डीबीटी वाउचर योजना का लाभ मिलेगा। कोविड महामारी से प्रभावित निराश्रित युवाओं को मुख्यमंत्री युवा संबल योजना के तहत बेरोजगारी भत्ता दिए जाने में प्राथमिकता दी जाएगी। इस महामारी के कारण अपने पति को खो चुकी विधवा महिलाओं को भी राज्य सरकार द्वारा एकमुश्त एक लाख रूपये की सहायता अनुदान के रूप में दी जाएग। साथ ही ऐसी विधवाओं को प्रतिमाह डेढ़ हजार रूपये विधवा पेंशन दी जाएगी। इसके लिये आयु वर्ग एवं आय की कोई भी सीमा नहीं होगी। इन विधवाओं के बच्चों को निर्वाह के लिए एक हजार रूपये प्रतिमाह तथा स्कूल ड्रेस एवं किताबों के लिए दो हजार रूपये सालाना प्रति बच्चा दिया जाएगा। जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने शनिवार को जीनापुर में कोरोना काल में अनाथ हुए दो बच्चों के घर पहुंचकर उन्हें ढांढस बंधाया। बच्चों के साथ संवाद करते हुए उनकी पढ़ाई, घर खर्च के सम्बंध में सरकार की ओर से दी जाने वाली सहायता के बारे में बताया। उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग तथा अन्य विभागों के अधिकारियों को भी ऐसे सभी बालकों को योजनाओं से लाभान्वित करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर ने बताया कि जिले में कोरोना संक्रमण की अवधि में 13 बच्चे ऐसे है जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को खोया है तथा अनाथ हो चुके हैं। इसी प्रकार 25 बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने माता-पिता में से किसी एक को खोया है।
कलेक्टर ने बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर शनिवार को सभी अधिकारियों, संबंधित अधिकारियों को निर्देशित कर जिले में अपने- अपने निकटतम स्थित इन बच्चों के घर जाकर संपर्क करने तथा उनके दुख को बांटने की कोशिश करने के निर्देश दिए थे।
कलेक्टर के साथ एसडीएम कपिल शर्मा, सहायक निदेशक सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सुनील गर्ग, बाल अधिकारिता शृद्धा गौत्तम भी मौजूद थे। इसी प्रकार उपखंड अधिकारी सवाई माधोपुर कपिल शर्मा, उपखंड अधिकारी गंगापुर अनिल चैधरी व तहसीलदार ज्ञानचंद जैमन, मलारना डूंगर उपखंड अधिकारी ने जोलन्दा में, बोंली एसडीएम ने बोंली में तथा अन्य उपखंड के अधिकारियों ने भी ऐसे बालकों के पास पहुंचकर उन्हें सांत्वना प्रदान कर ढांढस बंधाया।