जानिए क्यों बंद हो सकते हैं रेलवे अस्पताल

बंद हो सकते हैं रेलवे अस्पताल, किसी भी निजी हॉस्पीटल में मिलेगी इलाज की सुविधा, कोरोना से घाटे की भरपाई की कौशिश-गंगापुर सिटी
निकट भविष्य में रेलवे अस्पताल बंद हो सकते हैं। इसकी जगह कर्मचारियों को अनुबंधित किसी भी निजी अस्पताल में इलाज की सुविधा मिल सकेगी। इसके लिए रेलवे एक मेडिकल बीमा पॉलिसी लाने की तैयारी कर रही है। इस पॉलिसी की किश्ते रेलवे द्वारा भरी जाएंगी। इसे रेलवे की कोरोना में हुए घाटे की भरपाई के रुप में भी देखा जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि इस स्कीम के तहत रेलवे कार्यरत और सेवानिवृत्त प्रत्येक कर्मचारी का बीमा कराएगी। इस बीमा कार्ड के जरिए कर्मचारी रेलवे से अनुबंधित किसी भी निजी अस्पताल मेें अपना इलाज करा सकेंगे। इसके लिए कर्मचारियों को रेलवे अस्पताल से रैफर होने की जरुरत नहीं होगी। कर्मचारी शहर के बाहर भी रेलवे से अनुबंधित अस्पतालों में बिना रैफर हुए अपना इलाज करा सकते हैं।
कमेटी का गठन
इस स्कीम को लागू करने के लिए रेल मंत्रालय ने एक कमेटी का गठन किया है। तीन सदस्यों की यह कमेटी को एक महिने में अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। कमेटी में प्रिंसीपल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैल्थ, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर फायनेंसतथ एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर शामिल हैं। यह कमेटी बीमा कंपनियों की ओर से दिए जाने वाले फायदों तथा निजी अस्पतालों द्वारा उलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं की छानबीन कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।
यदि सरकार रिपोर्ट पर अपनी सहमति देती है तो कर्मचारियों के बीमा करने और हैल्थ कार्ड बनाने का काम शुरु हो जाएगा।
घाटा रोकने की कवायद
रेलवे के इस कदम को कोरोना काल में हुए घाटे रोकने की कवायद माना जा रहा है। आज भी अधिकांश रेलवे अस्पतालों में कई बीमारियों के इलाज की सुविधा नहीं है। ऐसे में रेलवे द्वारा कर्मचारियों को निजी अस्पतालों रैफर किया जाता है। कर्मचारियों के इलाज के बदले रेलवे को निजी अस्पतालों को भुगतान करना पड़ता है। इस भुगतान के लिए रेलवे को हर महिने करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। कई बार कर्मचारी अपनी पसंद के अनुबंधित या कई बार निजी अस्पताल में रैफर नहीं करने की शिकायत भी करते हैं।
ऐसे में तमाम शिकायतों के साथ सरकार को रेलवे और निजी अस्पतालों के खर्च भी उठाना पड़ रहा है। नए पॉलिसी से यह दोनों समस्याएं समाप्त होने की उम्मीद है। कर्मचारी बिना रैफर हुए रेलवे से अनुबंधित अपनी पसंद के किसी भी अस्पताल में अपना इलाज करा सकेंगे। साथ ही रेलवे अस्पताल में इलाज की सुविधा बंद होने से सरकार का खर्च भी बचेगा। इस स्कीम के तहत रेलवे को सिर्फ कर्मचारियों के बीमा प्रीमियम का भुगतान करना होगा। अगर यह नियम लागू होता है तो भविष्य में रेलवे अस्पताल बंद भी हो सकते हैं।