Rajasthan : कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष ऐसे बयान देंगे तो अशोक गहलोत की सरकार कैसे रिपीट होगी?

गोविंद सिंह डोटासरा बताएं कि क्या कांग्रेस ने भी सत्ता के लिए अंग्रेजों से संघर्ष किया?
महाराणा प्रताप के लिए दिया गया बयान देश के स्वतंत्रता सेनानियों का भी अपमान है।
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष ऐसे बयान देंगे तो अशोक गहलोत की सरकार कैसे रिपीट होगी?
==============
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि मुगल शासक जलालुद्दीन अकबर और राजस्थान के चित्तौड़ के राजा महाराणा प्रताप के बीच सत्ता के लिए संघर्ष था। यानी महाराणा प्रताप अपनी मातृभूमि के लिए संघर्ष नहीं कर रहे थे, उन्हें तो चित्तौड़ की सत्ता चाहिए थी। समझ में नहीं आता कि डोटासरा ने किस मानसिकता से ऐसा बयान दिया है। डोटासरा कांग्रेस में कोई गली कूचे के नेता नहीं है, बल्कि राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। डोटासरा का दिया गया बयान सरकार का बयान भी माना जाएगा। डोटासरा यदि अकबर और महाराणा प्रताप के संघर्ष को सत्ता के लिए मानते हैं तो फिर कांग्रेस का अंग्रेजों के साथ संघर्ष भी सत्ता के लिए ही माना जाएगा। क्योंकि भारत के लिए आक्रमणकारी मुगलों और कब्जाधारी अंग्रेजों में कोई फर्क नहीं है। जिस प्रकार अंग्रेजों ने भारत पर कब्जा किया, उसी प्रकार जलालुद्दीन अकबर और उनके पूर्वजों ने आक्रमण कर भारत पर शासन जमाया। पहले महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों ने अपनी मातृभूमि के लिए मुगल शासकों से लड़ाई लड़ी तो फिर सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल आदि ने अंग्रेजों के साथ संघर्ष किया। यानी मातृभूमि के लिए जो स्थिति मुगलों के शासन में महाराणा प्रताप की थी, वही स्थिति अंग्रेजों के शासन में कांग्रेस की थी। अब गोविंद सिंह डोटासरा को यह बताना चाहिए कि क्या कांग्रेस ने भी सत्ता के लिए अंग्रेजों से संघर्ष किया? डोटासरा माने या नहीं, लेकिन महाराणा प्रताप पर दिए गए बयान से देश के स्वतंत्रता सेनानियों का भी अपमान हुआ है। सब जानते हैं कि महाराणा प्रताप एक ऐसे राजा रहे, जिन्होंने कभी भी अकबर की स्वाधीनता स्वीकार नहीं की। यदि प्रताप सत्ता के भूखे होते तो अन्य राजाओं की तरह अकबर की स्वाधीनता स्वीकार कर महलों में रहते। महलों में रहने के बजाए प्रताप ने जंगलों में रह कर घास की रोटियां खाना स्वीकार किया। जिस महाराणा प्रताप ने अपनी मातृभूमि की शान के लिए इतने कष्ट उठाए, उन प्रताप को आज सत्ता का लालची बताया जा रहा है। ऐसी सोच रखने वालों को शर्म आनी चाहिए। समझ में नहीं आता कि गोविंद सिंह डोटासरा महाराणा प्रताप के मुकाबले में जलालुद्दीन अकबर को बड़ा क्यों दिखाना चाहते हैं? क्या डोटासरा, प्रताप को अकबर से बड़ा नहीं मानते? राजस्थान ही नहीं पूरे देश में महाराणा प्रताप की वीरता पर गर्व किया जाता है, लेकिन राजस्थान में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा महाराणा प्रताप को सत्ता का लालची बता रहे हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश में कांग्रेस सरकार की वापसी के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि प्रदेशाध्यक्ष के ऐसे बयानों से क्या अशोक गहलोत सरकार रिपीट होगी? गहलोत माने या नहीं लेकिन डोटासरा ने विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। डोटासरा को आज नहीं तो कल अपने बयान पर माफी मांगनी पड़ेगी, लेकिन डोटासरा जितने विलंब से माफी मांगेंगे, उतना कांग्रेस को नुकसान होगा। डोटासरा के ऐसे बयानों से अशोक गहलोत के सरकार रिपीट के प्रयासों पर पानी फिर रहा है।