गंगापुर सिटी रेलवे की बेकार पड़ी अरबों की भूमि लगे कोई कारखाना तो मिले राहत-गंगापुर सिटी

रेलवे बजट …गंगापुर सिटी रेलवे की बेकार पड़ी अरबों की भूमि

लगे कोई कारखाना तो मिले राहत-गंगापुर सिटी
अंग्रेजों के समय में आजादी से पूर्व सन् 1905 से 1912 के मध्य निर्माणधीन यह रेलवे दिल्ली-मुंबई रेल लाइन पर स्थित गंगापुर सिटी कभी इस मार्ग का महत्वपूर्ण स्टेशन हुआ करता था लेकिन बीच में आई कुछ परिस्थितियों के चलते रेलवे का सारा काम यहां से उजड गया। आज हालत यह है कि जमीन ही रेलवे के पास खाली पड़ी है, जिसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस वजह से वक्त की मार से आज गंगापुर उपेक्षित है।कुछ ही साल पहले गंगापुर सिटी रेलवे स्टेशन पर लोको व कैरिज में हजारों रेलकर्मी कार्य करते थे। रेलवे के कई उच्च अधिकारियों के कार्यालय भी यहां संचालित थे। इससे शहर की आर्थिक गतिविधियां काफी मजबूत थी। बाद में जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से रेलवे लोको को खत्म कर दिया गया। कैरिज में भी वर्तमान में स्टाफ कम हो रहा है। 80 के दशक तक यहां हजारों कर्मचारी कार्य करते थे लेकिन रेल कारखानों के बंद होने से रेलवे की रौनक खत्म सी हो गई।<स्रद्ब1>लोको शेड पूरी तरह वीरान किसी समय यात्रियों की चहल-पहल और कर्मचारियों की ऊर्जा से जीवंत रहने वाला गंगापुर सिटी का लोको शेड आज जर्जर हाल में है। लोको शेड जर्जर होने के बाद रेलवे की अरबों रुपए की जमीन भी बेकार पड़ी हुई है। जब तक यह लोको शेड काम करता था यहां से सौ से अधिक स्टीम इंजन संचालित किए जाते थे। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि एक दौर था जब इस लोको शेड में तैयार किए गए स्टीम इंजन ने अखिल भारतीय स्तर पर हुई रेल इंजन रेस में देश भर में पहला स्थान हासिल किया था। इंजन मरम्मत के लिए लगभग दो हजार कर्मचारी कार्य करते थे। इसी प्रकार कैरिज डिपो से मालगाड़ी के डिब्बों की मरम्मत कार्य के लिए एक हजार से अधिक कर्मचारी कार्य करते थे। कैरिज के अधिकांश कर्मचारियों को दूसरे स्थान पर भेजे जाने से अब यहां नाम मात्र के कर्मचारी ही रह गए हैं।
लोको शेड पूरी तरह वीरान हो गया है, कैरिज डिपो के भी अब यही हाल होने को लगते हैं। सन 1980 के बाद डीजल इंजन चलने से स्टीम इंजनों का संचालन और मरम्मत कार्य बंद हो गया। अब तो रेलवे में महज डेमो के लिए ही स्टीम इंजन बाकी बचे हैं। स्टीम इंजन बंद होने के बाद गंगापुर में स्टीम के स्थान पर डीजल लोको शेड बनने की आस बंधी लेकिन राजनेताओं व रेलवे के नेताओं की राजनीतिक कमजोर के कारण डीजल इंजनों का लोको शेड रतलाम में स्थापित कर दिया। ऐसे में रेलवे की बेशकीमती और काफी मात्रा में भूमि अनुपयोगी है। लोको शेड में कार्यरत यहां के कर्मचारियों का स्थानान्तरण तुगलकाबाद व अन्य स्थानों पर कर दिया गया।
उपेक्षा से बना खण्डहर केरिज शैड रेलवे स्टेशन राजनीतिक व प्रशासनिक उपेक्षा के चलते उपेक्षा का शिकार हो रहा है। ऐसे में कई एक्सप्रेसें ट्रेनों का ठहराव नहीं होने से शहरवासियों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक समय था जब यहां चहल-पहल हुआ करती थी। यहां करीब सौ एकड़ भूमि पर (भाप) के करीब 150 इंजनों का रख-रखाव भी होता था। इसके करीब ढाई से तीन हजार तक कर्मचारी कार्य करते थे। लेकिन वर्तमान में लाखों रुपए की जमीन बेकार पड़ी है। इससे लोको शेड का भवन भी खण्डहर में तब्दील हो गए है। वही कैरिज शेड़ में भी जो चहल-पहल हुआ करती थी। आज सूना नजर आता है। कई साल पहले गंगापुर सिटी रेलवे में स्टीम लोको शेड हुआ करता  ािा। यहां से 105 इंजन संचालित होते थे। इंजनों की मरम्मत और संचालन के लिए यहां हजारों रेलकर्मी पदस्थापित थे। लेकिन लोकोशेड को यहां से हटा देने से लोको शेड आज बीरानी छा गई है। इसी प्रकार पूर्व में कैरिज डिपों में आठ हजार लोग पदस्थापित थे,
 लेकिन आज कैरिज डीपों बेकार पड़ा है।
जर्जर पड़ा कैरिज डिपो-यहां स्टेशन के नजदीकही स्थापित कैरिज डिपो में तीन साल के अतंराल में मालगाडिय़ों के इंजनों व डिब्बों की ऑवर हॉलिंग जांच होती थी इसके तहत डिब्बों का नवीनीकरण होता था। रेलवे सूत्रो ने बताया कि कैरिज में करीब 700 मालगाडिय़ों का प्रत्येक माह नवीनीकरण होता था। इसमें करीब एक हजार कर्मचारीकार्यरत थे, लेकिन यहां के रेलवे के नेताओं व राजनेताओं की बजह से यह कारखाना खाली व बीरानहो गया। जबकि सवाई माधोपुर जिले से केद्र में कई मंत्रियों के बनने के बाद गंगापुर रेलवे की सुध तक नहीं ली गई है। इधर रेलवे विकास समिति के संयोजक वेदप्रकाश मंगल व प्रवक्ता मुक्तदिर खां ने बताया कि गंगापुर सिटी  की समस्याओं से बार-बार अवगत कराने के बावजूद सुनवाई नहीं हो रही है।