Indian Railways : एक महीने में भी नहीं उपलब्ध कराई मालगाड़ी, गेहूं निर्यात के लिए व्यापारी ने की थी मांग, रेलवे बोर्ड पहुंचा मामला

Indian Railways : कोटा मंडल ने एक महीने में भी नहीं उपलब्ध कराई मालगाड़ी,

गेहूं निर्यात के लिए व्यापारी ने की थी मांग, रेलवे बोर्ड पहुंचा मामला

Kota Rail News : मांग के एक महीने बाद भी कोटा रेल मंडल द्वारा व्यापारी को मालगाड़ी उपलब्ध नहीं करवाने का मामला सामने आया है। जबकि व्यापारी को विदेशों में निर्यात के लिए गेहूं तत्काल प्रभाव से गुजरात भेजना था। कोटा मंडल के इस रवैए से आहत व्यापारी ने मामले की शिकायत रेल मंत्रालय में की है।
अपनी शिकायत में व्यापारी मनोज जैन ने बताया कि विदेश भेजने के लिए उसे अपना गेहूं गांधीधाम और कांडला पोर्ट पर पहुंचाना था। इसके लिए उसने अप्रैल के प्रथम सप्ताह में कोटा मंडल से मालगाड़ी की मांग की थी। लेकिन उसे आज तक भी रैक उपलब्ध नहीं कराया गया है। जबकि निर्यात किए जाने के कारण उसे अपना गेहूं तत्काल भेजना जरूरी था।
मनोज ने बताया गेहूं जैसी जरूरी खाद्य सामग्री और वह भी निर्यात किए जाने के मामले में कोटा मंडल का ऐसा रवैया तो अन्य मामलों में कोटा मंडल की कार्यप्रणाली को आसानी से समझा जा सकता है।
रेलवे नहीं चाहती निर्यात
अधिकारियों के रवैए से मनोज इस कदर हताश और निराश हो गए कि उन्होंने अपनी शिकायत में यह तक लिख दिया कि प्रशासन हमारी तात्कालिकता को नहीं समझ सका। मनोज यहीं नहीं रुके। मनोज ने अपनी शिकायत में यहां तक लिख दिया की अधिकारियों के रवैया को देखते हुए लगता है कि रेलवे निर्यात नहीं बढ़ाना चाहती।
नहीं की मांग पूरी
मनोज ने बताया कि हमने पिछले दिनों में कोटा से केडीएलपी, जीआईएमबी और एसआरवीए में कई साधारण और प्रीमियम मांगपत्र रखे थे। लेकिन कई दिनों बाद भी कोटा मंडल द्वारा हमें कोई प्लेसमेंट प्रदान नहीं किया गया। इससे उनका गेहूं का निर्यात कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
रेलवे के दो जवाब
इस मामले में रेलवे ने मनोज को दो जवाब दिए हैं। एक तरफ रेलवे का कहना है कि प्रतिबंध के कारण गुजरात के लिए रैक उपलब्ध नहीं करवाए गए। वही दूसरे जवाब में कहा गया कि व्यवस्था होते ही रैक उपलब्ध करवा दिए जाएंगे।
रेलवे को गर्त में धकेलने का प्रयास
लगातार मांग के बावजूद भी व्यापारी को रैक उपलब्ध नहीं कराने के मामले को विशेषज्ञों ने अधिकारियों द्वारा रेलवे को गर्त में धकेलने का प्रयास बताया।
विशेषज्ञों ने बताया कि कोरोना काल में में हुए घाटे को पूरा करने के लिए रेलवे ने माल गोदामों को पर विशेष ध्यान दिया था। व्यापारियों को कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई थीं। व्यापारियों को लुभाने के लिए माल भाड़े में छूट तक दी गई थी। रेलवे की आय बढ़ाने के लिए व्यापारियों से व्यक्तिगत रूप से भी संपर्क किया गया था। अधिकारियों द्वारा लगातार माल गोदामों का निरीक्षण किया गया था। इसका कुछ असर नजर भी आया था। पहले की अपेक्षा माल गोदाम से रेलवे की आय बढ़ने लगी थी। वही कोटा मंडल के अधिकारी रेलवे के प्रयास के लिए कतई गंभीर नजर नहीं आ रहे।
एलम पाउडर के लिए एडवांस में उपलब्ध कराए थे सैंकड़ों रैक
एक तरफ कोटा रेल मंडल द्वारा निर्यात किए जाने वाले गेहूं तक के लिए चंद रैक उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है वहीं दूसरी ओर एलम (फिटकरी) पाउडर के लिए प्रशासन ने सैंकड़ों रेकों की व्यवस्था की थी। जबकि इन रेकों में एलम पाउडर की जगह मार्बल पाउडर भेजा गया था। रेलवे को करीब 100 करोड रुपए का चूना लगने का अंदेशा है।