एक व्यक्ति एक जिले में दो दुकानों के लिए ही आवेदन कर सकेगा-गंगापुर सिटी

लॉटरी नहीं, नीलामी सेआवंटित होगी शराब की दुकानें

23 से 27 फरवरी तक चलेगी नीलामी, एक व्यक्ति एक जिले में दो दुकानों के लिए ही आवेदन कर सकेगा-गंगापुर सिटी
राज सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021 22 के लिए शराब की दुकानों की लॉटरी प्रक्रिया बदल दी है प्रदेश में अब शराब की दुकानों की लॉटरी नहीं निकलेगी दुकान है ऑनलाइन नीलाम होगी नीलामी की प्रक्रिया 23 से 27 फरवरी तक चलेगी। एक व्यक्ति एक जिले में केवल 2 दुकानों के लिए ही आवेदन कर सकेगा।
पूरे प्रदेश के लिएअधिकतम 5 आवेदन पत्र भर सकेगा । राज्य सरकार ने ऑनलाइन नीलामी के लिए भारत सरकार के उपक्रम एमएसटीसी को अधिकृत किया है। उसके पोर्टल पर 12 फरवरी से ही निशुल्क पंजीयन की सुविधा शुरू हो गई है। नीलामी में भाग लेने के लिए आवेदक को सर्वप्रथम एमएससीटी की बेबसाइट पर अपना पंजीयन करा आईडी में पासवर्ड प्राप्त करना होगा। जिसके आधार पर वह शराब की दुकान के लिए आवेदन कर सकेगा।
ऑनलाइन नीलामी का आबकारी विभाग को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब शराब व्यवसायी ही इस प्रक्रिया में शामिल होंगे। नीलामी प्रक्रिया में हर रोज सुबह11 से शाम 4 बजे तक रोजाना कम से कम 5 घंटे तक बोली लगेगी उसके बाद भी जब तक बोली लगती रहेगी। तब तक 10 मिनट के अंतराल के बाद वापस जारी रहेगी।वही बोलीदाता को पिछली बोली की राशि बढ़ाकर कम से कम 5 हजार बढ़ाकर बोली लगानी होगी। लेकिन पिछली बोली की राशि बढ़ाकर कम से कम 5 हजार रुपए बढ़ा कर बोली लगानी होगी। लेकिन पिछली बोली की राशि में पांच प्रतिशत से अधिक की राशि की बोली नहीं लगाई जा सकेगी। प्रत्येक चरण के लिए निर्धारित नीलामी की दिनांक से एक ही पूर्व रात राशि 11 बजकर 58 मिनट पर बंद हो जाएगी।
व्यवसायिक भू रूपांतरण के बिना भी होटल और बार को मिलेंगे शराब बिक्री के लाइसेंस अब संभाग स्तरीय कमेटी नहीं होगी
राज सरकार ने शराब बिक्री के लिए होटल के बाहर लाइसेंस के लिए नियमों में शिथिलता दी है।अब शहरी क्षेत्रों में जहां भू रूपांतरण रोके तथा वहां होटल चल रही है। तथा नगरीय विकास विभाग या स्वायत शासन विभाग से टिन नंबर ले रखा है तो आबकारी विभाग उसे शराब बिक्री का लाइसेंस दे देगा। वहां होटल की भूमिका का व्यावसायिक प्रयोजनार्थरूपांतरण आवश्यक नहीं होगा। होटल में बार के लिए शराब बिक्री का लाइसेंस जारी करने के लिए सरकार ने प्रक्रिया तय कर दी है।पूर्व में संभाग स्तरीय कमेटी के अनापत्ति प्रमाण पत्र के बाद आबकारी विभाग लाइसेंस जारी करता था। उस कमेटी के मुखिया अतिरिक्त आबकारी आयुक्त होते थे।प्रतिनिधि के रूप में एसडीएम,जिला आबकारी अधिकारी और आरटीडीसी के प्रतिनिधि होते थे। यह कमेटी मौके पर जाकर निरीक्षण करती थी। उसके अनापत्ति प्रमाण पत्र के आधार पर लाइसेंस जारी होता था।अब सरकार ने यह कमेटी ही समाप्त कर दी है। अब जिला आबकारी अधिकारी की रिपोर्ट पर आबकारी आयुक्त सीधे लाइसेंस जारी कर सकेंगे।