ऑपरेशन थियेटर है,लेकिन नहीं होते ऑपरेशन

ऑपरेशन थियेटर है,लेकिन नहीं होते ऑपरेशन रेलवे अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं,आए दिन हो रहे मरीज परेशान-गंगापुर सिटी

रेलवे अस्पताल में करीब 15 साल से ऑपरेशन नहीं होने से रेलकर्मियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि अस्पताल में छह साल पहले लाखों रुपए की लागत से नया ऑपरेशन थियेटर भी बनकर तैयार पड़ा हुआ है। लेकिन अभी तक चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों के नहीं होने से ऑपरेशन थियेटर शो पिस बना हुआ है। गंगापुर सिटी रेलवे अस्पताल कोटा मंडल के बाद दूसरे नंबर का चिकित्सालय है। लेकिन इस चिकित्सालय में कई साल से ना तो नसबंदी हो रही है। ना ही अन्य ऑपरेशन हो रहे है। इसके चलते रेलकर्मियों को कोटा या अन्य निजी अस्पताल में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
कई सालों से स्त्रीरोग विशेषज्ञ नहीं 
रेलवे चिकित्सालय में वर्षो बीत जाने के बाद भी बच्चों की किलकारी नहीं गुंज रही है। यहां रेलवे अस्पताल में कई सालों से स्त्रीरोग विशेषज्ञ के नहीं होने से प्रसूता वार्ड बंद पड़ा है। जिससे रेलवे कर्मचारियों की पत्नीयों को निजी अस्पताल में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।इस संबंध में रेलवे की दोनों यूनियनों ने मंडल स्तर से लेकर जोन तक महिला चिकित्सक लगाने की मांग की। लेकिन अभी तक रेलवे के अधिकारियों ने सुध तक नहीं ली है।
रेलवे कर्मचारियों होते रेफर
रेलवे चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सक के नहीं होने से अस्पताल में आने वाले मरीजों को समुचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते आए दिन मरीजों को अस्पताल से रेफर किया जाता है। रेलवे कर्मियों ने बताया कि विशेषज्ञ स्त्री रोग विशेषज्ञ,नेत्र रोग विशेषज्ञ व दंत रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों के नहीं होने से आए दिन रेलवे कर्मचारी व उनके परिजनों को कोटा, जयपुर, दिल्ली व मुंबई रेफर किया जाता है। जिससे गर्भवती महिलाओं,फेक्चर, दांत व ऑखों से पीडित मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इन रोग से सबंधित मरीजों को चिकित्सा सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आए दिन रेलकर्मियों को निजी अस्पताल में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। जबकि पूर्व में यहां एक निजी अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों को दिखाने के लिए रेलवे ने कोटेट पर ले रखा था। लेकिन तीन माह से यह कोटेट फिर से नहीं होने से रेलवे कर्मचारियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। वही अस्पताल में गंगापुर सिटी,हिंडौन सिटी, श्रीमहावीरजी,भरतपुर, बयाना, सवाईमाधोपुर, मलारना, खण्डीप लालपुर उमरी व छोटी उदेई के रेलकर्मियों को अस्पताल में इलाज कराने को आना पड़ता है। अस्पताल का प्रतिदिन आउटडोर 200 से लेकर 250 है। इस समय रेलवे चिकित्सालय मे दो चिकित्सक के अलावा चार चिकित्सक संविधा पर लगा रखे हे। जो दो से 8-8 घंटे की ड्यूटी देते है। लेकिन इनमें से कोई विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। जबकि अस्पताल 50 वेड है। प्रतिदिन 25 से 30 मरीज भर्ती होते है।
यूनियन ने उठाई थी मांग
वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष नरेन्द्र जैन ने बताया कि यूनियन ने कोटा व जबलपुर में स्थाई वार्ता तंत्र की बैठक में मामला उठाया गया था कि चिकित्सालय में मरीजों के छोटे -छोटे तक ऑपरेशन की सुविधा नहीं होने से उन्हें कोटा व जयपुर जाना पड़ता है। इस पर जबलपुर जोन के महाप्रबंधक ने एपेस्थीसिया मशीन लगाने की स्वीकृति दे दी। साथ ही औपरेशन करने के लिए कोटा से एक चिकित्सक भी लगाने के निर्देश दिए थे। जो अभी तक पूरे नहीं हुए है।इनका कहना
वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन रेलवे कर्मचारियों की समय-समय पर मांग उठा रही है। रेलवे अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों के नहीं होने पर पूर्व में उच्च स्तर पर मांग उठा चुके है। लेकिन मांगों पर अधिकारियों ध्यान नहीं देने से रेल कर्मचारियों को परेशानी उठानी पड़ रही है।नरेन्द्र जैन मंडल उपाध्यक्ष वेसेरेएयूनियन गंगापुर सिटी।
स्थाई वार्ता तंत्र की बैठक में उठाया मुद्दा
वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे मजदूर संघ ने भी रेलवे अस्पताल की समस्याओं व चिकित्सको के खाली पदों का मुददा जबलपुर जोनल स्तर व मंडल रेल प्रबंधक के सामने स्थाई वार्ता तंत्र की बैठक में उठा चुके है। रेलवे अधिकारी भी इस मामले पर विचार किया जा रहा है।डी.के. शर्मा मंडल उप सचिव रेलवे मजदूर संघ गंगापुर सिटी।