Udaipur : महिला चिकित्सक के सुसाइड मामले में चिकित्सक कड़ी कार्यवाही के लिए
हुए लामबंद।
इसलिए महिला चिकित्सकों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा। महिला चिकित्सक ने पूरे प्रयास किए लेकिन मरीज की जान नही बचा सकी। ऐसे में उनके परिजनों द्वारा हॉस्पिटल के बाहर विरोध प्रदर्शन कर डॉ. शर्मा पर दबाव बनाने की कोशिश की और उनको बदनाम किया गया। डॉ. शर्मा ने बदनामी के डर से आत्महत्या कर ली। इस मामले में कही न कही पुलिस भी जिम्मेदार है। पुलिस निष्पक्ष तरीके से जांच करती और चिकित्सक के खिलाफ जांच पूरी होने के बाद मामला दर्ज होता तो शायद डॉ. शर्मा आत्महत्या नहीं करती। आईएमए के सचिव डॉ. प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि इस प्रकरण में पुलिस ने धारा 302 में प्रकरण दर्ज कर लिया। जबकि यह एक मेडिकल एक्सीडेंट है। पुलिस की और से प्रकरण दर्ज करने के बाद डॉ. शर्मा दबाव मे आ गई और उन्होंने आत्महत्या करना ही उचित समझा। इस मौके पर आईएमए के साथ चिकित्सको के अन्य संगठन अरिस्दा के जिलाध्यक्ष डॉ. शंकर बामणिया, सचिव डॉ. तरूण व्यास, उदयपुर ग्यानेकॉलोजी सोसासटी के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश जैन, सचिव डॉ. प्रदीप बंदवाल, आरएनटी मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. विजय गुप्ता, सचिव डॉ. दीपक आमेटा, आरडीए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजवीर सिंह, आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्रिसींपल डॉ. लाखन पोसवाल, एमबी हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. आर.एल. सुमन सहित कई वरिष्ठ डॉक्टर मौजूद थे।