कोटा। कोटा रेल मंडल में कुल 1084 रेलवे आवास खाली पड़े हैं, जो मंडल में आवास प्रबंधन की बड़ी खामियों को उजागर करते हैं। इनमें से बड़ी संख्या में आवास जर्जर हालत में हैं और रहने लायक नहीं हैं, लेकिन रेलवे ने केवल 241 आवासों को ही कंडम घोषित किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन खाली आवासों में से कई पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।
इन कब्जाधारियों को रेलवे द्वारा मुफ्त बिजली और पानी जैसी सुविधाएं मिल रही हैं, जिससे रेलवे को राजस्व का नुकसान हो रहा है। लोको कॉलोनी में तो एक अवैध रूप से कब्जा किए गए मकान पर लोगों ने बकायदा विंडो एसी लगा रखा है और बिजली के लिए छत के ऊपर रेलवे की लाइन से सीधे तार जोड़ रखे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि लोको कॉलोनी में ही हाल ही में एक खाली रेलवे मकान से पुलिस ने एक महिला का शव बरामद किया था, जो इन खाली संपत्तियों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
कई रेलवे आवासों पर पशुपालकों ने कब्जा कर रखा है, जिससे ये आवास तबेलों में तब्दील हो गए हैं। ये लोग इन मकानों में अपने जानवर बांधते हैं और भूसा-चारा भरते हैं। कोटा की न्यू रेलवे कॉलोनी में भी यह नजारा आसानी से देखा जा सकता है, जहां जानवरों के गोबर से पूरी कॉलोनी में गंदगी फैली रहती है। बारिश में तो यहां भारी मात्रा में कीचड़ जमा हो जाता है, जिससे कॉलोनी वासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है और कई बार शिकायत के बाद भी इसका समाधान नहीं होता। उनका यह भी आरोप है कि कई अफसरों की गाड़ियां यहां दूध लेने आती हैं।
इसके अलावा, कई रेलवे कॉलोनियों में जुआ, सट्टा सहित कई अनैतिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। बारां में भी एक रेलवे क्वार्टर में दिन भर जुआ-सट्टा चलता रहता है और यह शराबियों का अड्डा बना हुआ है। खास बात यह है कि यह क्वार्टर अभी भी एक कर्मचारी के नाम पर आवंटित है।
कोटा मंडल में विभिन्न श्रेणियों के मकानों की स्थिति इस प्रकार है:
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि रेलवे प्रशासन को इन खाली पड़े आवासों के प्रबंधन, अवैध कब्जों को हटाने और इन संपत्तियों के उचित उपयोग के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
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