मेवाड़ एसी कोच में 20 विदेशी सैलानियों को नहीं मिली सीट, निजामुद्दीन से मथुरा तक हुए परेशान, 200 से अधिक शिकायतें

मेवाड़ एसी कोच में 20 विदेशी सैलानियों को नहीं मिली सीट, निजामुद्दीन से मथुरा तक हुए परेशान, 200 से अधिक शिकायतें

 

कोटा। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में निज़ामुद्दीन-उदयपुर मेवाड़ एक्सप्रेस (12963) में अनियमित यात्रियों की भारी भीड़ के कारण बुधवार रात 20 विदेशी सैलानियों को उनके आरक्षित कोच में सीट नहीं मिल पाई। इन सभी सैलानियों का आरक्षण बी-4 थर्ड एसी कोच में था, लेकिन पर्याप्त जगह न मिलने के कारण उन्हें निज़ामुद्दीन से मथुरा तक भारी परेशानी में सफर करना पड़ा।

⚠️ ट्रैवल एजेंसी ने रेल मंत्री से की शिकायत

सैलानियों को ले जा रही ट्रैवल एजेंसी ने इस घटना की ऑनलाइन शिकायत रेल मंत्री से की है। मंत्रालय से शिकायत मिलने के बाद कोटा डीआरएम ने यात्रियों को मदद का भरोसा दिलाया था।

ट्रैवल एजेंसी ने अपनी शिकायत में बताया कि बल्लभगढ़ स्टेशन से लगभग 3 हज़ार यात्री बिना टिकट ट्रेन में चढ़ गए और उन्होंने बी-4 कोच में हंगामा किया। हालांकि, ये सभी अनियमित यात्री बाद में कोसीकलां और मथुरा स्टेशनों पर उतर गए।

🚫 रोज़ाना 200 से अधिक शिकायतें

मेवाड़ एक्सप्रेस में निज़ामुद्दीन और मथुरा के बीच यात्रियों की परेशानी का यह पहला मामला नहीं है। रेलवे को पिछले कई सालों से मथुरा से निज़ामुद्दीन के बीच वातानुकूलित (AC) कोचों में भी सीट न मिलने और यात्रियों को परेशान होने की रोज़ाना 200 से 250 शिकायतें मिलती हैं, लेकिन रेलवे इसका कोई ठोस समाधान नहीं कर सका है।

👥 4,000 यात्री करते हैं अप-डाउन

इस समस्या का मुख्य कारण अप-डाउन करने वाले यात्रियों की अत्यधिक संख्या है।

  • सुबह काम के लिए दिल्ली जाने वाले यात्री देर शाम बड़ी संख्या में इसी ट्रेन से कोसीकलां और मथुरा लौटते हैं।

  • इन यात्रियों की संख्या 4,000 से अधिक रहती है।

  • इतनी बड़ी संख्या में एक साथ यात्री लौटने पर पूरी ट्रेन जनरल कोच की भांति बन जाती है।

  • ये यात्री वातानुकूलित कोच तक में कब्जा कर लेते हैं, जिससे आरक्षित यात्रियों को खड़े होने की जगह भी नहीं मिलती।

🚨 GRP और TTE असहाय

इस ट्रेन में निज़ामुद्दीन से मथुरा तक जीआरपी (GRP) के जवान गश्त करते हैं, लेकिन अप-डाउन करने वालों की भारी संख्या के सामने वे बेबस हो जाते हैं। जब तक जवान कार्रवाई करने की कोशिश करते हैं, तब तक ट्रेन कोसीकलां और मथुरा पहुँच जाती है, और यात्री उतर जाते हैं। रोज़ाना की समस्या होने के कारण टीटीई भी यात्रियों की मदद नहीं कर पाते हैं।

हालांकि, भरतपुर से कोटा तक आरपीएफ (RPF) गश्त करती है, जिसके बाद यात्रियों को भीड़ की शिकायतें नहीं रहती हैं।


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