बारां।राजस्थान के बारां जिले में एक बार फिर अफ्रीकी चीते की मौजूदगी ने स्थानीय लोगों और वन विभाग को अलर्ट मोड पर ला दिया है। मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क की सीमा पार कर यह चीता किशनगंज के रामगढ़ क्षेत्र में पहुंच गया, जिसके बाद इलाके में दहशत फैल गई।
बताया जा रहा है कि चीता रातभर रामगढ़ की पहाड़ियों की झाड़ियों में रुका रहा और सुबह सक्रिय दिखाई दिया। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन विभाग तक पहुंचाई, जिसके बाद टीमें मौके पर पहुंचकर लगातार ट्रैकिंग कर रही हैं। फिलहाल चीता ट्रैकिंग टीम से लगभग 100 मीटर दूरी पर मौजूद है।
कूनो नेशनल पार्क से ट्रेंकुलाइज टीम के पहुंचने के बाद ही उसकी गिरफ्तारी या सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
बुधवार शाम को जब ग्रामीणों ने इसे देखा तो उन्होंने पहले इसे पैंथर समझा। लेकिन कूनो पार्क की विशेषज्ञ टीम ने मौके पर पहुंचकर इसकी पहचान अफ्रीकी चीते (केपी-2) के रूप में की। जानकारी के मुताबिक, इस चीते ने कुछ समय पहले इसी इलाके में नीलगाय का शिकार किया था।
दोनों राज्यों—राजस्थान और मध्य प्रदेश—की टीमें बुधवार से इसे ट्रैक करने का प्रयास कर रही हैं। चीता 50 किमी से अधिक दूरी तय कर रामगढ़ क्रेटर की पहाड़ियों तक पहुंचा है।
बारां के जिला वन अधिकारी विवेकानंद मानिकराव ने बताया कि कूनो टीम को सूचना दे दी गई है और गुरुवार रात को टीम मौके पर पहुंच चुकी है। चीता पूरी तरह सुरक्षित है और उसे जल्द ही ट्रेंकुलाइज कर सुरक्षित स्थान पर ले जाने की तैयारी की जा रही है।
कूनो फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा के अनुसार यह शावक पिछले एक माह से श्योपुर-बारां बॉर्डर के आसपास अपनी नई टेरिटरी की तलाश में घूम रहा था। दो दिन पहले उसने पार्वती नदी पार कर बारां जिले में प्रवेश किया और तब से उसकी हर गतिविधि पर निगरानी रखी जा रही है।
गुरुवार को कूल नदी के पास ग्रामीणों ने चीते को पानी पीते देखा और वीडियो भी बनाई। इसके बाद वह नजदीकी खेतों की ओर गया, जहां उसने एक नीलगाय का शिकार भी किया। वन विभाग ने तुरंत सर्च अभियान शुरू कर दिया और आसपास के क्षेत्रों में लोगों से घर से अनावश्यक बाहर न निकलने की अपील की है।
टीमों ने पुष्टि की है कि चीता अभी भी शिकार वाली जगह के आसपास मौजूद है और उसकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
दिसंबर 2023 में भी एक अफ्रीकी चीता केलवाड़ा क्षेत्र के जंगल में देखा गया था। उस समय उसे ट्रेंकुलाइज कर वापस कूनो नेशनल पार्क पहुंचा दिया गया था।
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