अंता उपचुनाव: भाजपा की करारी हार के कारण, कांग्रेस की जीत के 5 बड़े फैक्टर

अंता उपचुनाव: भाजपा की करारी हार के कारण, कांग्रेस की जीत के 5 बड़े फैक्टर

 

जयपुर। अंता विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया ने भाजपा को करारी शिकस्त देते हुए शानदार जीत दर्ज की। भाया ने 15,594 वोटों के बड़े अंतर से भाजपा के मोरपाल सुमन को हराकर सबको चौंका दिया। इस हार को राजस्थान की भाजपा सरकार के लिए एक बड़ी परीक्षा में विफलता माना जा रहा है।

कांग्रेस की इस जीत में कई मास्टरस्ट्रोक रणनीति और भाजपा की आंतरिक कमियों ने अहम भूमिका निभाई। आइए जानते हैं कांग्रेस की जीत के 5 बड़े कारण जिन्होंने अंता की चुनावी तस्वीर बदल दी:

1. बेहतर माइक्रो मैनेजमेंट और ग्राउंड नेटवर्क

पिछली गलतियों से सबक लेते हुए कांग्रेस ने इस चुनाव में बेहद सूझबूझ दिखाई। पार्टी का संगठन पूरी तरह एक्टिव रहा।

  • बूथ स्तर पर टीमों का गठन किया गया।

  • घर-घर पहुंचकर मतदान अपील की गई।

  • मतदान के दिन मतदाताओं को बूथ तक लाने की बेहतर रणनीति अपनाई गई।

  • कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत झोंकी, जिसका माइक्रो मैनेजमेंट भाजपा की रणनीति पर भारी पड़ा

2. प्रभावी उम्मीदवार चयन और भाया का व्यक्तिगत संपर्क

कांग्रेस ने उम्मीदवार चयन में जल्दबाज़ी और सूझबूझ दिखाई। प्रमोद जैन भाया का नाम सबसे पहले घोषित किया गया।

  • प्रमोद जैन भाया हाड़ौती क्षेत्र के दिग्गज कांग्रेस नेता और पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।

  • भाया ने अपने व्यक्तिगत संपर्क को प्राथमिकता दी, गांव-गांव जाकर मतदाताओं से संवाद किया और चुनावी प्रबंधन को एक संगठित अभियान की तरह चलाया।

  • वहीं, भाजपा को उम्मीदवार का नाम तय करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।

3. रणनीतिक अभियान और समर्पित टीम वर्क

कांग्रेस ने अंता के लिए ऐसी रणनीति बनाई जिसका तोड़ भाजपा के पास नहीं था।

  • पार्टी ने क्षेत्र के हर गांव में अपने कार्यकर्ताओं को संदेश भेजकर मतदाताओं को अपने पक्ष में किया।

  • कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के लिए 56 नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी।

  • प्रत्येक नेता को तीन-तीन गांव का प्रभारी बनाया गया, जिसका मुख्य लक्ष्य ग्रामीण वोट बैंक पर फोकस करना था।

 

4. स्थानीय मुद्दों पर पकड़ और समाधान का भरोसा

कांग्रेस की टीम ने गांवों में जनसंपर्क किया और स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दी।

  • ग्रामीणों ने सरकारी योजनाओं के लाभ न मिलना, फसल खराब होने पर उचित मुआवजा न मिलना, सड़क और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, और खाद की किल्लत जैसी समस्याएँ सामने रखीं।

  • कांग्रेस ने इन समस्याओं को अपने अभियान का मुख्य आधार बनाया और गांव-गांव जाकर समाधान का भरोसा दिलाया, जिसने ग्रामीण वोट को कांग्रेस के खाते में पहुँचाया।

 

5. भाजपा की गुटबाजी और समन्वय की कमी

कांग्रेस ने जहां अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा जैसे वरिष्ठ नेताओं की एकजुटता और सक्रिय रोड शो से कार्यकर्ताओं को ऊर्जा दी, वहीं भाजपा की आंतरिक खींचतान ने पार्टी की नैया डुबो दी।

  • भाजपा में टिकट वितरण को लेकर नाराज़गी सामने आई और कुछ नेता चुनाव में सक्रिय नहीं रहे।

  • सियासी गलियारों में चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक गुट और वर्तमान सीएम भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाले गुट के बीच खींचतान ने संगठन को कमजोर कर दिया।

  • भाजपा प्रत्याशी मोरपाल सुमन को राजे गुट का पूर्ण समर्थन नहीं मिला, जिससे कार्यकर्ता मनोबल प्रभावित हुआ और वोटों का ध्रुवीकरण कमजोर हुआ।


उपचुनाव परिणाम:

प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत
प्रमोद जैन भाया (विजेता) कांग्रेस 69,462
मोरपाल सुमन भाजपा 53,868
नरेश मीणा निर्दलीय 53,740
नोटा - 925

#अंताउपचुनाव #कांग्रेसजीत #भाया #भाजपाकीहार #राजस्थानराजनीति #चुनावीफैक्टर #अशोकगहलोत #माइक्रोमैनेजमेंट

G News Portal G News Portal
167 0

0 Comments

No comments yet. Be the first to comment!

Leave a comment

Please Login to comment.

© G News Portal. All Rights Reserved.