कोटा, 15 जुलाई 2025: मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से निकलकर एक भालू (रीछ) सोमवार तड़के कोटा के दरा स्टेशन पहुंच गया। यहां रेलवे कर्मचारियों द्वारा पत्थरों से हमला किए जाने के बाद भालू गंभीर रूप से घायल हो गया और बाद में वन विभाग द्वारा ट्रेंकुलाइज किए जाने के बाद उसकी मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर मुकुंदरा में वन्यजीवों की सुरक्षा और रेलवे ट्रैक पर उनके प्रवेश को रोकने के लिए किए गए इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रेल कर्मचारियों की पत्थरबाजी से घायल हुआ भालू
सोमवार तड़के करीब 3 बजे दरा स्टेशन पर रेल पटरियों पर एक भालू को देखकर रेलवे कर्मचारी घबरा गए। दहशत में आए कर्मचारियों ने कथित तौर पर अपने बचाव में भालू पर गिट्टियां और पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। इस अचानक हमले से घबराया भालू बचने के लिए इधर-उधर भागा, लेकिन लगातार पत्थर लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल होने के कारण भालू चल भी नहीं पा रहा था और अपनी जान बचाने के लिए प्लेटफॉर्म के पास रेल पटरियों पर ही दुबक कर बैठ गया। कर्मचारियों ने यहां भी उसे भगाने की कोशिश की, लेकिन घायल होने के कारण वह हिल नहीं सका।
वन विभाग का रेस्क्यू और उसके बाद मौत
घटना की जानकारी मिलने पर स्टेशन मास्टर ने तुरंत वन विभाग को सूचित किया। सुबह करीब 5 बजे दरा स्टेशन पर पहुंची वन विभाग की दो टीमों ने भालू को ट्रेंकुलाइज किया। ट्रेंकुलाइज के दौरान भालू करीब 2 घंटे तक एक ही जगह बैठा रहा। बाद में वन विभाग की टीम भालू को अपने साथ ले गई।
हालांकि, सूत्रों ने बताया कि वन विभाग द्वारा ले जाने के बाद भालू की मौत हो गई। इसके बाद वन विभाग ने पोस्टमार्टम करवाकर भालू का अंतिम संस्कार कर दिया। फिलहाल, भालू की मौत के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। आशंका जताई जा रही है कि गंभीर रूप से घायल होने के कारण भालू ट्रेंकुलाइज को सहन नहीं कर सका। भालू किशोर अवस्था का बताया जा रहा है।
वन विभाग पर मामला छिपाने का आरोप
इस पूरे मामले को वन विभाग द्वारा कथित तौर पर छिपाने की कोशिश की गई। मुकुंदरा के वन अधिकारी एस मैथ्यू ने कई बार फोन करने के बाद भी कॉल नहीं उठाया। वहीं, कोटा के वन अधिकारी अनुराग भटनागर ने ऐसे किसी भी मामले की जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया, जबकि एक टीम के कोटा से जाने की बात भी सामने आ रही है। इस घटना के बाद देर रात वन विभाग के कर्मचारी दरा स्टेशन पर रेल कर्मचारियों से बातचीत करते भी नजर आए।
सुरक्षा दीवार में खामियां और वन्यजीवों का खतरा
बताया जा रहा है कि रात भर हुई लगातार बारिश से बचने के लिए यह भालू चार मोखों (गुफा जैसे स्थान) से निकलकर सुरक्षित जगह की तलाश में रेल पटरी पर पहुंचा था। हालांकि, यहां पर रेलवे द्वारा फेंसिंग और सुरक्षा दीवार भी बनाई गई है, लेकिन ये फेंसिंग और सुरक्षा दीवारें टूटी पड़ी हैं। पिछले दिनों कोटा मंडल से आए अधिकारियों ने इनकी मरम्मत के निर्देश भी दिए थे, लेकिन सुपरवाइजरों ने काम की गंभीरता को नहीं समझा।
राजधानी ट्रेन से टक्कर की अफवाह और पहले भी हो चुकी बाघ की मौत
इस भालू के मुंबई-दिल्ली राजधानी ट्रेन से टकराकर घायल होने की भी जानकारी सामने आ रही है। हालांकि, सूत्रों ने इस बात से पूरी तरह इनकार किया है और बताया है कि कर्मचारियों ने अपने बचाव के लिए इस अफवाह को उड़ाया है। 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती राजधानी ट्रेन की चपेट में आने से भालू का बचना मुश्किल है। चालक की तरफ से भी किसी जानवर के ट्रेन से टकराने की सूचना नहीं मिली है।
यह उल्लेखनीय है कि दरा में ट्रेन से टकराकर पहले भी एक बाघ की मौत हो चुकी है। इसके अलावा कई अन्य जंगली जानवर भी यहां ट्रेन की चपेट में आ चुके हैं। इतना संवेदनशील एरिया होने के बावजूद भी रेलवे और वन विभाग द्वारा यहां पर जंगली जानवरों को रेल पटरी पर आने से बचाने के पुख्ता इंतजाम अभी तक नहीं किए गए हैं, जो चिंता का विषय है।
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