कोटा, 22 जुलाई 2025: रेलवे प्रशासन द्वारा तमाम दावों और प्रयासों के बावजूद अधिकारियों के बंगलों पर कर्मचारियों से 'बेगारी' कराने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह प्रथा छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक के यहां जारी है, बस फर्क इतना है कि छोटे अधिकारियों के यहां 2-3 कर्मचारी होते हैं, जबकि बड़े अधिकारियों के बंगलों पर एक दर्जन से अधिक कर्मचारियों को बेगारी करने के लिए मजबूर किया जाता है।
ताजा मामला एक वरिष्ठ अधिकारी के बंगले का सामने आया है, जहां कथित तौर पर लगभग 8 अप्रेंटिस और दो महिला कर्मचारी काम कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, ये अप्रेंटिस और महिला कर्मचारी कार्यालय जाने के बजाय सीधे सुबह अधिकारी के बंगले पर पहुंच जाते हैं और देर रात तक वहीं काम करते हैं। बताया गया है कि महिला कर्मचारी यहां अन्य घरेलू कामों के अलावा अधिकारियों के बच्चों की देखभाल भी करती हैं।
इसी अमानवीय कार्यप्रणाली का एक दुखद पहलू भी सामने आया है। खबर है कि पिछले दिनों इसी बंगले पर अधिकारियों के एक ड्राइवर ने रात को बंगले से लौट रही एक महिला कर्मचारी से कथित तौर पर छेड़छाड़ कर दी थी। हालांकि, बाद में इस मामले को जैसे-तैसे शांत करा दिया गया।
विजिलेंस की भूमिका पर सवाल यह उल्लेखनीय है कि वर्षों से चली आ रही इस बेगारी प्रथा की जानकारी रेलवे की विजिलेंस विंग सहित सभी संबंधित अधिकारियों को है। इसके बावजूद, विजिलेंस द्वारा इस बेगारी प्रथा के खिलाफ अधिकारियों पर कभी कोई ठोस कार्रवाई किए जाने की जानकारी सामने नहीं आई है। बताया जाता है कि इस मामले में विजिलेंस की कार्रवाई मात्र एक या दो सुपरवाइजरों तक ही सीमित रही है, जिससे बड़े अधिकारियों को अक्सर बचा लिया जाता है।
यह घटना रेलवे के भीतर व्याप्त इस पुरानी और निंदनीय प्रथा को उजागर करती है, जो न केवल श्रम कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि कर्मचारियों के शोषण का भी एक गंभीर उदाहरण है। इस मामले ने एक बार फिर रेलवे प्रशासन की जवाबदेही और विजिलेंस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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