जयपुर। राजस्थान में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में हो रही देरी को लेकर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्धारित समय सीमा में चुनाव कराने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय प्रकाश शर्मा की खंडपीठ ने पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन से जुड़ी करीब 450 याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया।
खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि 15 अप्रैल 2026 तक पंचायत और निकाय चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक और महत्वपूर्ण निर्देश दिया:
"31 दिसंबर तक सभी जिलों में परिसीमन की प्रक्रिया अनिवार्य रूप से समाप्त कर दी जाए, ताकि चुनाव समय पर करवाने में कोई बाधा न आए। परिसीमन की कार्यवाही को आगे चुनौती नहीं दी जा सकेगी।"
हाईकोर्ट ने याचिकाओं की सुनवाई के दौरान चुनावों में देरी को लेकर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि पंचायत और शहरी निकाय के चुनाव समय पर होना आवश्यक है।
गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले गुरुवार को स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा था कि एसआइआर (SIR) शुरू हो गया है और पुरानी मतदाता सूची पर चुनाव कराना वैधानिक रूप से संभव नहीं है। उन्होंने कहा था कि यह प्रक्रिया फरवरी तक चलेगी।
मंत्री खर्रा ने तर्क दिया था कि इसके बाद स्कूलों और कॉलेजों में परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। चूंकि चुनाव ड्यूटी के लिए सबसे ज्यादा स्टाफ और संसाधन शिक्षा विभाग से मिलते हैं, ऐसे में परीक्षा अवधि में चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। मंत्री का आकलन था कि नगरीय निकाय चुनाव अब मई में ही होना संभव लग रहा है। हालांकि, अब हाईकोर्ट ने सरकार को समय सीमा का पालन करने का स्पष्ट आदेश दिया है।
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