राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: इस सत्र में नहीं होंगे छात्र संघ चुनाव, कोर्ट ने कहा— 'शिक्षा का अधिकार लोकतांत्रिक मूल्यों से ऊपर'

राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: इस सत्र में नहीं होंगे छात्र संघ चुनाव, कोर्ट ने कहा— 'शिक्षा का अधिकार लोकतांत्रिक मूल्यों से ऊपर'

जयपुर। राजस्थान के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव की उम्मीद लगाए बैठे छात्र नेताओं को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र (2025-26) में छात्र संघ चुनाव नहीं कराए जाएंगे। कोर्ट ने शिक्षा की गुणवत्ता और शैक्षणिक अनुशासन को प्राथमिकता देते हुए कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

शिक्षा के मौलिक अधिकार को दी प्राथमिकता

न्यायाधीश समीर जैन की एकल पीठ ने जय राव व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि छात्र संघ चुनाव लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा जरूर देते हैं, लेकिन वे शिक्षा के मौलिक अधिकार से ऊपर नहीं हो सकते। कोर्ट ने तर्क दिया कि चूंकि वर्तमान शैक्षणिक सत्र समाप्त होने के करीब है, ऐसे में चुनाव कराने से परीक्षाओं और शैक्षणिक कैलेंडर पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

भविष्य के लिए 'रोडमैप' तैयार करने के निर्देश

हाईकोर्ट ने केवल चुनाव टालने का आदेश ही नहीं दिया, बल्कि भविष्य के लिए एक ठोस नीति बनाने के निर्देश भी दिए हैं:

  • 19 जनवरी 2026 को बड़ी बैठक: कोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि 19 जनवरी 2026 को सभी संबंधित पक्षों, छात्र प्रतिनिधियों और अधिकारियों की बैठक बुलाई जाए।

  • ठोस नीति का निर्माण: राज्य सरकार को छात्र संघ चुनाव के लिए एक स्पष्ट और तर्कसंगत नीति बनाने को कहा गया है। यदि भविष्य में चुनाव नहीं कराए जाते हैं, तो सरकार को इसके ठोस और तार्किक कारण बताने होंगे।

  • चुनाव बोर्ड का गठन: परीक्षाओं और चुनाव के सही संचालन के लिए 'छात्र संघ चुनाव बोर्ड' या विशेष समिति गठित करने के निर्देश दिए गए हैं।

मार्च में जारी होगा चुनाव कैलेंडर

अदालत ने शैक्षणिक अनुशासन बनाए रखने के लिए एक बड़ा बदलाव करने का आदेश दिया है। अब छात्र संघ चुनाव का कैलेंडर हर साल मार्च महीने में ही जारी करना होगा। इससे सत्र की शुरुआत से ही स्पष्टता रहेगी और शैक्षणिक गतिविधियों में बार-बार व्यवधान नहीं आएगा।

विश्वविद्यालय परिसर में चुनावी कामकाज पर रोक

एक अन्य महत्वपूर्ण निर्देश में कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को कहा है कि आम चुनाव या अन्य चुनाव कार्यों के लिए विश्वविद्यालय परिसर का उपयोग करने के बजाय वैकल्पिक व्यवस्था (जैसे कम्युनिटी हॉल या अन्य सरकारी भवन) तलाशी जाए। अक्सर चुनावी ड्यूटी और बूथ बनाने के कारण महीनों तक शैक्षणिक कार्य प्रभावित होता है, जिस पर कोर्ट ने चिंता जताई है।


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