बस अग्निकांड: 'आग का गोला' बनी बस को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, सड़कों पर दौड़ रहीं फर्जी रजिस्टर्ड गाड़ियाँ!

बस अग्निकांड: 'आग का गोला' बनी बस को लेकर चौंकाने वाला खुलासा, सड़कों पर दौड़ रहीं फर्जी रजिस्टर्ड गाड़ियाँ!

 

राजस्थान: हाल ही में हुए जैसलमेर बस हादसे ने राज्य की परिवहन व्यवस्था और आरटीओ (RTO) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वह बस, जो चलते-चलते आग का गोला बन गई थी, उसे लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। पता चला है कि सड़कों पर दौड़ रही कई बसें सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स और ऑटोमेटिव इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड के मापदंडों के अनुसार तैयार और संचालित नहीं की जा रही हैं।

गलत मापदंडों से बनी बसें, फर्जीवाड़ा पंजीकरण

जैसलमेर बस हादसे के बाद उजागर हुआ है कि बस बॉडी का निर्माण गलत मापदंडों से कराया जाता है। इस हादसे में शामिल बस का पंजीयन चित्तौड़गढ़ से कराया हुआ पाया गया, जबकि इसमें कई गंभीर खामियाँ थीं:

  1. बस गलत मापदंडों से तैयार कराई गई थी, जिसे जोधपुर आरटीओ ने मापदंडों के अनुरूप सही नहीं मानते हुए पंजीयन नहीं किया था।

  2. इसके बावजूद, बस को भौतिक रूप से चित्तौड़गढ़ ले जाए बिना ही पंजीयन हो गया। चित्तौड़गढ़ के संबंधित आरटीओ अधिकारी ने केवल कागजों के आधार पर ही पंजीयन कर दिया

यह साफ दर्शाता है कि बिना भौतिक सत्यापन के ही वाहनों को फिटनेस और परमिट का ठप्पा लगाकर सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है।

मापदंडों के साथ छेड़छाड़ और सुरक्षा से समझौता

सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के अनुसार, बसों की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई, सीटों के बीच की गली, इमरजेंसी गेट, एग्जिट गेट आदि के मापदंड निर्धारित होते हैं।

  • उदाहरण के लिए, ऑटोमेटिव इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड (AIS-52) व (AIS 153) के अनुसार एक बस की ऊंचाई 3.8 मीटर होनी चाहिए, लेकिन बॉडी बिल्डर्स अपने फायदे के लिए डिग्गी को छोटा-बड़ा करने के लिए ऊंचाई को कम-ज्यादा कर देते हैं।

  • बस की चौड़ाई 2.44 मीटर होनी चाहिए, और व्हील बेस की 60 प्रतिशत तक ही लंबाई बढ़ाई जा सकती है, लेकिन बस को बड़ा करने के लिए इसकी लंबाई और बढ़ा दी जाती है

बस बॉडी बिल्डर्स इन मापदंडों के अनुरूप बॉडी निर्माण न करके, उन्हें मॉडिफाई करवाकर तैयार कराते हैं, जिससे यात्री सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।

'बाहरी' आरटीओ से बिना सत्यापन पंजीकरण

यह भी सामने आया है कि मापदंडों के अनुसार तैयार नहीं की गईं कई गाड़ियाँ सड़क पर सरपट दौड़ रही हैं, और कई बाहर से पंजीकृत कराई हुई हैं।

अधिकांश बसें अरुणाचल प्रदेश (AR), मणिपुर (MN) व नगालैंड (NL) आरटीओ से पास कराई जाती हैं। यहाँ पर वाहनों को बिना भौतिक सत्यापन किए ही चार-पांच घंटे के अंदर पंजीयन पुस्तिका, फिटनेस, वाहन का परमिट आदि जारी कर दिया जाता है। इसका भयावह परिणाम दुर्घटनाओं के रूप में सामने आ रहा है। यह गंभीर खुलासा है कि सरकारी आज तक इस पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाई है।

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