जयपुर, 16 जुलाई: राजस्थान में भजनलाल सरकार की महत्वाकांक्षी 'पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबी मुक्त गांव योजना' पर अब स्वयं कैबिनेट के भीतर से ही सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के मंत्री किरोड़ीलाल मीना ने कैबिनेट की बैठक में इस योजना का कड़ा विरोध करते हुए आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि जो लोग बीपीएल सूची में शामिल होकर भी साधन-संपन्न हैं, उन्हें प्रोत्साहन राशि देने का कोई औचित्य नहीं है।
मंत्री का विरोध: "अपात्रों पर पैसा लुटाने का कोई मतलब नहीं"
सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट बैठक में मंत्री किरोड़ीलाल मीना ने अपनी ही सरकार की योजना पर सवाल उठाते हुए स्पष्ट किया कि सरकारी सहायता केवल उन जरूरतमंद परिवारों को मिलनी चाहिए, जिनके पास पक्के मकान तक नहीं हैं। उन्होंने कहा, "अपात्रों पर पैसा लुटाने का कोई मतलब नहीं है।" हालांकि, जानकारी मिली है कि मंत्री की इस असहमति को बैठक के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया।
क्या है 'गरीबी मुक्त गांव योजना'?
'दीनदयाल उपाध्याय गरीबी मुक्त गांव योजना' के तहत सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों को बेहतर आजीविका प्रदान करने के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। बीपीएल जनगणना 2002 की सूची के अनुसार, प्रथम चरण में अप्रैल से जून 2025 तक सर्वे किया गया। 41 जिलों में प्रत्येक जिले से 122 गांवों का चयन कर कुल 5002 गांवों में 30631 परिवारों का सर्वे किया गया।
चौंकाने वाले सर्वे के आंकड़े
सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। चयनित परिवारों में से 72 प्रतिशत यानी 22076 परिवार गरीबी रेखा के दायरे से बाहर पाए गए। इन परिवारों को प्रोत्साहन स्वरूप 21 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि और 'आत्मनिर्भर परिवार कार्ड' दिया जा रहा है। अब तक 22076 परिवारों को कुल 46.35 करोड़ रुपये की राशि दी जानी है, जिसमें से कई परिवारों को भुगतान भी कर दिया गया है। द्वितीय चरण के सर्वे के लिए 5000 गांवों के 77545 परिवार चिह्नित किए गए हैं, जो दिसंबर तक पूरा होगा।
केन्द्रीय योजनाओं के लाभ पर सवाल
सर्वे के बाद गरीबी रेखा से ऊपर आए परिवारों को राज्य सरकार ने बीपीएल से बाहर होने का दावा किया है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि बीपीएल सूची केंद्र सरकार की है और खाद्य सुरक्षा योजना जैसी कई केंद्रीय योजनाओं का लाभ इसी सूची के अनुसार दिया जा रहा है। तो क्या गरीबी रेखा से बाहर आ चुके इन परिवारों को केंद्रीय योजनाओं का लाभ मिलना जारी रहेगा या नहीं?
वास्तविक जरूरतमंदों की स्थिति
पहले चरण की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, अभी भी 6524 परिवार ऐसे हैं जो गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं। इनमें से 122 परिवार ऐसे हैं जिनके पास बिजली-पानी का कनेक्शन तो दूर, पेट भरने के लिए अन्न तक नहीं है। वहीं, 1580 परिवारों के पास जमीन का पट्टा नहीं, 1277 के पास घर नहीं, 1056 के पास शौचालय नहीं, 758 के पास इलाज कराने के लिए पैसे नहीं और 726 परिवारों के पास गैस कनेक्शन नहीं है। इसके अलावा, 728 परिवारों को पेंशन भी नहीं मिल रही है।
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