कोटा। कोटा रेल मंडल में कैरिज एंड वैगन (सीएंडडब्ल्यू) विभाग के अधिशेष (सरप्लस) कर्मचारियों को गार्ड (ट्रेन मैनेजर) बनाने का मामला अब जयपुर स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) पहुँच गया है। इस मामले पर सुनवाई गुरुवार को होगी।
गौरतलब है कि रेलवे ने लगभग 20 दिन पहले कुछ सीएंडडब्ल्यू कर्मचारियों को अधिशेष घोषित कर दिया था और दो दिनों के भीतर सभी औपचारिकताएँ पूरी कर उन्हें गार्ड की ट्रेनिंग के लिए उदयपुर भेज दिया।
वर्तमान गार्डों का कहना है कि इन अधिशेष कर्मचारियों में से कुछ 4200 ग्रेड-पे वाले हैं। रेलवे द्वारा इन्हें भी गार्ड बनाने से उनकी पदोन्नति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और उन्हें आर्थिक नुकसान भी होगा। गार्डों की माँग है कि 2800 ग्रेड-पे वाले कर्मचारियों को दूसरे विभागों से गार्ड बनने का अवसर दिया जाना चाहिए, जिससे उनकी पदोन्नति प्रभावित न हो और गार्डों की कमी भी पूरी हो सके।
गार्डों ने बताया कि वर्तमान में कोटा मंडल में गुड्स ट्रेन मैनेजर के कुल 356 पदों में से केवल 113 पद ही भरे हुए हैं। इसमें आरआरबी 25 प्रतिशत डायरेक्ट कोटे के 10, डिपार्टमेंटल भर्ती में 15 प्रतिशत एलडीसीई कोटे के 22 और रैंकर कोटा 60 प्रतिशत के 211 पद खाली पड़े हैं। बड़ी संख्या में पदों के खाली रहने के कारण कई बार गाड़ियाँ बिना गार्ड के चलाई जा रही हैं, जिसे संरक्षा की दृष्टि से बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं माना जा सकता।
गार्डों ने यह भी बताया कि रेलवे बोर्ड से विभागीय भर्ती पर रोक हटने और चयन प्रक्रिया जारी होने के बाद भी भर्ती नहीं की जा रही है। पूर्व में भी दो बार वैकेंसी निकालकर पॉइंट्समैन की कमी का हवाला देते हुए रद्द कर दी गई थी, जबकि विभागीय पॉइंट्समैन से ही स्टेशन मास्टर की तीन बार वैकेंसी भरी जा चुकी है।
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