कोटा। कोटा रेल मंडल में मुख्य लोको निरीक्षक (CLI) पदोन्नति परीक्षा में हुई कथित गड़बड़ी के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 3 रेलवे अधिकारियों सहित कुल 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
जिनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उनमें तत्कालीन वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (टीआरडी), मंडल कार्मिक अधिकारी (डीपीओ) एवं सहायक मंडल कार्मिक अधिकारी (एपीओ), दो मुख्य कार्यालय अधीक्षक (सीओएस) और एक मुख्य लोको निरीक्षक (सीएलआई) शामिल हैं।
सीबीआई ने इन सभी पर रिश्वत लेने, ओएमआर शीट में हेराफेरी करने सहित भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 7 और 8, तथा आईपीसी की धारा 218 (लोक सेवक द्वारा गलत रिकॉर्ड), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग) के तहत मामला दर्ज किया है।
यह मामला मई 2023 में आयोजित सीएलआई पद के लिए विभागीय पदोन्नति परीक्षा से जुड़ा है। पांच पदों के लिए हुई इस परीक्षा में कुल 96 लोको पायलट शामिल हुए थे। सितंबर में जब इस परीक्षा का परिणाम आया, तो कुछ लोको पायलटों ने परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए रेलवे विजिलेंस से शिकायत की।
कई महीनों तक चली विजिलेंस जांच में यह पता चला कि परीक्षा में वास्तव में गड़बड़ी हुई थी और पास होने वाले लोको पायलटों की ओएमआर शीट में हेराफेरी की गई थी। हालांकि, अधिकारियों के नाम सामने आने के बाद संभवतः विजिलेंस ने मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
विजिलेंस द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर, लोको पायलटों ने मामले की शिकायत लोकपाल को कर दी। अपनी जांच में लोकपाल को भी परीक्षा में गड़बड़ी नजर आई, जिसके बाद उन्होंने मामला जयपुर सीबीआई को भेज दिया। सीबीआई ने अपनी जांच में भी मामले में गड़बड़ी पाई, जिसके उपरांत उसने तीन अधिकारियों और दो कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू की है।
मामला सामने आने के बाद, एक मुख्य कार्यालय अधीक्षक (सीओएस) ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली, जबकि दूसरा सीओएस रिटायर हो गया। जांच में दोषी साबित होने पर सीबीआई इनके खिलाफ भी कार्रवाई कर सकती है।
कोटा रेल मंडल के इतिहास में संभवतः यह दूसरी बार है जब अधिकारी किसी सीबीआई जांच में फंसे हों। इससे पहले, सीबीआई ने कोटा डीआरएम ऑफिस में ही रिश्वत लेते दो वरिष्ठ मंडल अधिकारियों को रंगे हाथों पकड़ा था।
मामला सामने आने के बाद, कोई भी अधिकारी इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। सीबीआई भी फिलहाल मामले का खुलासा करने से बच रही है। यहां तक कि सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आरोपी अधिकारियों और कर्मचारियों का नाम भी नहीं लिखा है, केवल उनके पद का उल्लेख किया है।
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