डीआरएम ऑफिस पार्किंग में बाहरी वाहनों का कब्जा, रेलवे को लाखों का 'चूना'

डीआरएम ऑफिस पार्किंग में बाहरी वाहनों का कब्जा, रेलवे को लाखों का 'चूना'

 

कोटा। कोटा स्थित डीआरएम ऑफिस पार्किंग स्टैंड पर बाहरी लोगों द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से अपने वाहन खड़े करने का मामला सामने आया है। इस अनियमितता के चलते रेलवे को हर साल लाखों रुपए का नुकसान (चूना) हो रहा है।

शिकायत मिलने के बाद यह मामला खुला है, जिसके बाद रेलवे अब तीनों पार्किंग स्टैंडों की जाँच-पड़ताल में जुट गई है।

अनियमितता का हाल

शिकायत के अनुसार, डीआरएम ऑफिस पार्किंग स्टैंड पर बाहरी लोग अपने वाहन खड़े कर रहे हैं। स्टैंड का ठेकेदार रेलवे की जानकारी के बिना इन लोगों से नियम विरुद्ध तरीके से किराया वसूल रहा है।

यही हाल गार्ड-ड्राइवर लॉबी पार्किंग और रेलवे अस्पताल की पार्किंग का भी है, जहाँ अनियमितता व्याप्त है।

कर्मचारी हित निधी समिति का नुकसान

उल्लेखनीय है कि ये तीनों पार्किंग स्टैंड कर्मचारी हित निधी समिति द्वारा संचालित किए जाते हैं। समिति का नियम है कि वह ठेकेदार की कमाई का 25 प्रतिशत हिस्सा वसूलेगी। लेकिन ठेकेदार कम कमाई बताकर समिति का हिस्सा भी खा जाते हैं, जिससे रेलवे को राजस्व का नुकसान होता है।

अप-डाउनर्स खड़े करते हैं वाहन

पता चला है कि कोटा से रोज अप-डाउन करने वाले यात्री अपने वाहन डीआरएम ऑफिस पार्किंग में खड़ा करते हैं। इन यात्रियों में कई निजी और सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं। ये लोग सुबह ट्रेन से आकर डीआरएम ऑफिस से अपना वाहन लेकर शहर में ड्यूटी पर जाते हैं और शाम को वापस वाहन खड़ा करके ट्रेन से लौट जाते हैं।

पार्किंग नियम और उल्लंघन

  • डीआरएम ऑफिस और लॉबी स्टैंड: ये स्टैंड केवल कर्मचारियों के लिए हैं, जो मासिक किराया देते हैं।

  • रेलवे अस्पताल स्टैंड: यह स्टाफ और इलाज के लिए आने वाले रेलवे कर्मचारियों के लिए है।

यदि बाहरी लोग इन स्थानों पर अपना वाहन खड़ा करते हैं, तो उन्हें किराया देना होता है। ठेकेदार को इसकी जानकारी रेलवे को देनी होती है, ताकि रेलवे को किराए की राशि का 25% हिस्सा मिल सके। इस नियम का उल्लंघन कर ठेकेदार सीधे यात्रियों से वसूली कर रहा है।

जाँच के बाद खुला मामला

डीआरएम और सभी उच्च अधिकारियों के होते हुए भी यह गड़बड़ी किसी की नजर में नहीं आई। किसी की शिकायत करने के बाद यह गंभीर मामला सामने आया है।

1 साल से नहीं हुआ टेंडर

एक और बड़ी अनियमितता यह है कि इन स्टैंडों का ठेका जनवरी में ही खत्म हो गया था। रेलवे ने अब तक इनका दोबारा टेंडर जारी नहीं किया है। पिछले दिनों टेंडर निकाला भी गया था, लेकिन नियम विरुद्ध तरीके से टेंडर खोलने के बाद उसे अचानक रद्द कर दिया गया था।

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