कोटा। रेलवे प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। लेखा ऑडिट विभाग ने कोटा मंडल के विभिन्न संगठनों, ठेकेदारों, जीआरपी थानों और रेलवे ऑफिसर्स क्लब सहित कई संस्थानों पर बिजली के बिलों में कुल 10 लाख 10 हजार रुपये की बड़ी गड़बड़ी पकड़ी है।
वरिष्ठ मंडल लेखा परीक्षा विभाग अधिकारी ने इन सभी संस्थाओं को एक कड़ा पत्र जारी करते हुए बकाया राशि को जल्द से जल्द जमा कराने का निर्देश दिया है।
लेखा विभाग ने इस मामले में सीधे-सीधे रेल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। अपने पत्र में विभाग ने गंभीर आरोप लगाया है कि प्रशासन की निष्क्रियता (Inactivity) के कारण पिछले करीब 4 साल से ये बिजली बिलों की वसूली नहीं हो पाई है।
इतना ही नहीं, कई विभागों ने वसूली के लिए भेजे गए पत्रों का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझा। इस पर गहरी नाराजगी जताते हुए ऑडिट विभाग ने कहा कि यह खेद का विषय है कि लंबे समय से बकाया होने के बावजूद प्रशासन ने वसूली के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए।
लेखा विभाग का सुझाव: विभाग ने बताया कि ठेकेदारों के मामले में उनकी धरोहर राशि (Security Deposit) में से बिल की वसूली की जा सकती थी, और संस्थाओं के बकाया होने पर उनकी बिजली की लाइन भी काटी जा सकती थी।
| संस्थान | बकाया राशि (रुपये) |
| जीआरपी थाना, गंगापुर | 4,30,229 |
| रेलवे ऑफिसर्स क्लब | 99,268 |
| एससी-एसटी एसोसिएशन | 82,408 |
| श्री बालाजी बिल्डर्स | 31,783 |
| एससी-एसटी एसोसिएशन, भरतपुर | 31,107 |
| ओबीसी कार्यालय, भरतपुर | 19,416 |
| पीसी बिश्नोई, एसपी/जीआरपी | 2,357 |
इन प्रमुख संस्थानों के अलावा, अन्य विभागों पर भी बिजली का बिल बकाया है, जिससे कुल बकाया राशि 10 लाख 10 हजार रुपये तक पहुँच गई है।
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