रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी: तीसरे दिन भी जीआरपी के हाथ खाली, डीआरएम ऑफिस बना 'हाट बाजार'

रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी: तीसरे दिन भी जीआरपी के हाथ खाली, डीआरएम ऑफिस बना 'हाट बाजार'

कोटा: रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर छिंदवाड़ा निवासी महिला आरती मोखेडे से ढाई लाख रुपये की ठगी के मामले में राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) को तीसरे दिन, शनिवार को भी कोई सफलता नहीं मिली है। तमाम कोशिशों के बावजूद जीआरपी अभी तक आरोपियों की पहचान करने में नाकाम रही है। पुलिस यह भी स्पष्ट रूप से नहीं बता पाई है कि इस धोखाधड़ी में शामिल लोग रेलवे कर्मचारी हैं या कोई बाहरी गिरोह।

हालांकि, सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में सामने आए आरोपी अभिषेक भारद्वाज और अनुपम चौधरी के कोटा डीआरएम (मंडल रेल प्रबंधक) ऑफिस के कर्मचारी होने की संभावना कम है। लेकिन सूत्रों का यह भी मानना है कि इतने लंबे समय तक और इतने बड़े पैमाने पर बिना अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत के इस ठगी के खेल को अंजाम देना संभव नहीं है। जांच में यह भी सामने आया है कि इस गिरोह ने कई अन्य लोगों को भी इसी तरह ठगा है, जिनसे डीआरएम ऑफिस में ही परीक्षा और ट्रेनिंग करवाई गई थी।

सीसीटीवी कैमरे से भी उम्मीद नहीं:

जीआरपी को डीआरएम ऑफिस और रेलवे अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरों से भी कोई खास उम्मीद नहीं है। यह पूरा घटनाक्रम फरवरी माह का है, जबकि सीसीटीवी कैमरों में अधिकतम 30 दिनों की रिकॉर्डिंग ही सुरक्षित रहती है। इसके बाद रिकॉर्डिंग स्वतः ही डिलीट हो जाती है। इसके चलते जीआरपी को मुख्य आरोपियों के साथ देने वालों की पहचान करने में मुश्किल हो रही है।

बिना कल्याण निरीक्षक के हुआ मेडिकल:

एक चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि रेलवे अस्पताल में किसी भी नए या पुराने कर्मचारी का मेडिकल कल्याण निरीक्षक की उपस्थिति और उनकी फाइल व रजिस्टर के बिना नहीं होता है। मेडिकल प्रमाण पत्र भी कल्याण निरीक्षक को ही सौंपा जाता है। लेकिन इस मामले में आरती का मेडिकल बिना कल्याण निरीक्षक के ही करा दिया गया, जिससे इस धोखाधड़ी में कई लोगों की मिलीभगत की आशंका और बढ़ गई है।

डीआरएम ऑफिस बना 'हाट बाजार':

इस बीच, डीआरएम ऑफिस धीरे-धीरे एक 'हाट बाजार' में तब्दील होता जा रहा है। यहां चाय, कॉफी, स्टेशनरी, पेन, बीमा पॉलिसी और प्लॉट के सौदागर दिनभर घूमते नजर आते हैं। कई कर्मचारी भी कार्यालय समय में बीमा और प्लॉट खरीदने-बेचने का काम करते हैं और अपने ग्राहकों को डीआरएम ऑफिस में ही बुलाते हैं। इसके अलावा, कपड़े और अन्य छोटे-मोटे सामानों की भी यहां खुलेआम खरीद-फरोख्त होती है।

हालांकि, इन अनधिकृत गतिविधियों को रोकने के लिए प्रवेश द्वार पर निजी गार्ड तैनात हैं, लेकिन मुफ्त की चाय और छोटे-मोटे सामानों के लालच में ये गार्ड किसी को भी डीआरएम ऑफिस में प्रवेश करने से नहीं रोकते।

दिनभर मचा रहा हड़कंप:

महिला से ठगी का मामला सामने आने के बाद शनिवार को रेलवे विभाग में दिनभर हड़कंप मचा रहा। लंबे समय से चल रहे इस गोरखधंधे पर आश्चर्य जताते हुए लोग एक-दूसरे से जानकारी लेते नजर आए। सबसे ज्यादा हैरानी इस बात पर थी कि डीआरएम ऑफिस में अधिकारियों की नाक के नीचे यह खेल बिना किसी रोक-टोक और डर के आराम से चल रहा था। अधिकारियों के ठीक सामने वाले कमरे में महिला को परीक्षा दिलवाई गई और कई दिनों तक ट्रेनिंग कराई गई, लेकिन किसी को इस फर्जीवाड़े की खबर तक नहीं लगी। आशंका है कि ऐसा केवल आरती के साथ ही नहीं, बल्कि और भी कई लोगों के साथ हुआ होगा।

फिलहाल, जीआरपी इस जटिल मामले की जांच में जुटी हुई है और उम्मीद है कि जल्द ही इस धोखाधड़ी के पीछे के असली चेहरों को बेनकाब किया जा सकेगा।

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