फर्जीवाड़ा: जयपुर में बन रही थी स्लीपर बस, बगैर भौतिक सत्यापन पंजीयन हो गया असम में; RTO ने दर्ज कराई FIR

फर्जीवाड़ा: जयपुर में बन रही थी स्लीपर बस, बगैर भौतिक सत्यापन पंजीयन हो गया असम में; RTO ने दर्ज कराई FIR

जयपुर। राजस्थान में दौड़ रही स्लीपर बसों के पंजीकरण में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। परिवहन विभाग की जांच में सामने आया है कि जयपुर में जिसकी बॉडी अभी बन ही रही थी, उस बस का पंजीकरण फर्जी दस्तावेजों के आधार पर असम में कर दिया गया। इस मामले में अतिरिक्त प्रादेशिक परिवहन अधिकारी (RTO) ने गलता गेट पुलिस थाने में FIR दर्ज कराई है।

🔍 जैसलमेर हादसे के बाद खुली पोल

जैसलमेर हादसे के बाद परिवहन विभाग ने निरीक्षण अभियान चलाया। इसी कड़ी में 18 अक्टूबर को परिवहन निरीक्षक हरिसिंह मीणा ने दिल्ली रोड स्थित खोल के हनुमान जी चौराहे पर विजय लक्ष्मी बॉडी बिल्डिंग वर्कशॉप की जाँच की।

जाँच के दौरान, मौके पर चार वाहनों की बॉडी का निर्माण चल रहा था। जब इन वाहनों के चेसिस नंबर और इंजन नंबर की जाँच पंजीयन वाहन सॉफ्टवेयर 4.0 पर की गई, तो एक बस का फर्जीवाड़ा सामने आया।

जिस बस की बॉडी का निर्माण जयपुर में हो रहा था, उसका चेसिस नंबर MC 2 R 5 TOTD 132060 और इंजन संख्या E 426 CDTD 521953 था। लेकिन सॉफ्टवेयर के अनुसार, यह बस 8 अक्टूबर 2025 को असम के जिला कमरूप में पंजीकृत (रजिस्टर्ड) दर्शा रही थी।

📝 बस मालिक के खिलाफ FIR दर्ज

इस खुलासे के बाद गलता गेट पुलिस थाने में बस संख्या AS 01 TC 9149 के मालिक मनीष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।

RTO ने मुकदमे में स्पष्ट किया है कि जब बस की बॉडी पूरी तरह से बनी भी नहीं थी, तो पंजीयन अधिकारी कमरूप, असम ने बगैर भौतिक सत्यापन के वाहन का पंजीकरण कैसे कर दिया। इससे साफ है कि यह पंजीकरण फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हुआ है। पुलिस अब मामले की जांच कर रही है।

💸 अधिकांश स्लीपर बसों में फर्जीवाड़ा, टैक्स चोरी मुख्य वजह

परिवहन विभाग का मानना है कि अधिकांश स्लीपर बसों में इसी प्रकार का फर्जीवाड़ा किया गया है। ये बसें कभी दूसरे राज्यों में गई भी नहीं, फिर भी उनका पंजीकरण हो गया।

  • सुरक्षा से समझौता: बगैर भौतिक सत्यापन के पंजीकरण होने के कारण इन स्लीपर बसों में एग्जिट गेट नहीं होने सहित कई सुरक्षा खामियां हैं, जो राजस्थान में जाँच के दौरान पकड़ी जाती हैं।

  • दलालों का खेल और टैक्स चोरी: इस पूरे खेल के पीछे टैक्स बचाने की मंशा है। दूसरे राज्यों में बैठे दलाल इस कार्य को अंजाम दे रहे हैं। राजस्थान में निजी बसों पर होम टैक्स करीब ₹40 हजार रुपए महीना है, जबकि कई दूसरे राज्यों में यह टैक्स केवल ₹4 हजार से ₹15 हजार तक है। ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट का टैक्स करीब ₹3 लाख है, लेकिन होम टैक्स बचाने के लिए निजी बसें दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड कराई जा रही हैं।

"एक बस का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। जिसकी बॉडी पूरी तरह से बनी भी नहीं और दूसरे राज्य में बगैर भौतिक सत्यापन के रजिस्ट्रेशन भी हो गया। पुलिस मामले की जांच कर रहीं है। दूसरी बसों की भी परिवहन विभाग जांच कर रहा है।"

– राजेंद्र सिंह शेखावत, आरटीओ प्रथम, जयपुर


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