कोटा। रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में अवैध वेंडिंग (सामान बेचना) का एक बड़ा मामला सामने आया है। कोटा रेल मंडल के तहत चलने वाली ट्रेनों में मोबाइल एक्सेसरीज, ताला-चाबी और अन्य सामान बेचने के लिए रेलवे ने केवल 25 वेंडरों को लाइसेंस जारी किए थे, लेकिन हकीकत में इनकी संख्या लगभग दोगुनी यानी 50 तक पहुंच गई थी।
गुरुवार को रेलवे की विजिलेंस टीम ने इस अनियमितता को पकड़ा। विजिलेंस ने मौके से ऐसे चार अवैध वेंडरों को पकड़कर कोटा आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) के हवाले कर दिया है। आरपीएफ ने इन वेंडरों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई शुरू कर दी है।
⚠️ ठेकेदार की मनमानी: रेलवे ने अपनी आय बढ़ाने के उद्देश्य से ट्रेनों में खिलौने, मोबाइल एक्सेसरीज, ताला-चाबी और चेन आदि सामान बेचने का ठेका दिया हुआ है। ठेके की शर्तों के अनुसार, ठेकेदार को निश्चित संख्या में ही वेंडर चलाने होते हैं। लेकिन ठेकेदार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए लगभग दोगुनी संख्या में वेंडर चला रखे थे।
फर्जी पहचान पत्र: जानकारी के मुताबिक, ट्रेनों में चलने के लिए ठेकेदार ने सभी वेंडरों को बकायदा पहचान पत्र भी जारी किए हुए थे। इसका मतलब है कि आधे वेंडर फर्जी पहचान पत्रों पर काम कर रहे थे।
चूंकि ये अवैध वेंडर अलग-अलग ट्रेनों में सक्रिय थे, इसलिए इन्हें एक साथ पकड़ना मुश्किल था। इसके बावजूद विजिलेंस टीम ने कार्रवाई करते हुए ठेकेदार के पहचान पत्र पर चल रहे चार अवैध वेंडरों को पकड़ने में सफलता हासिल की है।
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