कोटा। मोडक रेलवे स्टेशन पर सोमवार को एक अवैध वेंडर ट्रेन की चपेट में आने से कट गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। झालावाड़ जीआरपी ने मंगलवार को शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया।
जीआरपी ने बताया कि मृतक की पहचान बालाराम (31) पुत्र गोविंद खेड़ा के रूप में हुई है, जो मूल रूप से मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के भानपुरा का रहने वाला था और वर्तमान में दरा में रह रहा था। यह घटना सोमवार शाम करीब 5 बजे बांद्रा-हरिद्वार देहरादून ट्रेन से प्लेटफार्म पर हुई।
जानकारी के अनुसार, बालाराम इसी ट्रेन में सफर कर रहा था और उसके पास मेघनगर से दरा तक का सामान्य श्रेणी का टिकट मिला है। बताया जा रहा है कि जल्दबाजी में चलती ट्रेन से उतरते समय बालाराम का संतुलन बिगड़ गया, जिससे वह प्लेटफार्म के नीचे रेल पटरी पर जा गिरा और ट्रेन की चपेट में आने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। सूचना मिलते ही परिजन और जीआरपी भी मौके पर पहुंच गए, जिसके बाद बालाराम का शव मोडक सरकारी अस्पताल में रखवाया गया।
सूत्रों ने बताया कि बालाराम कोटा-रतलाम के बीच कई ट्रेनों में अवैध वेंडिंग का काम करता था, हालांकि घटना वाले दिन वह वेंडिंग नहीं कर रहा था। वह दरा में मौजूद गोलू नाम के व्यक्ति के लिए वेंडिंग करता था। गौरतलब है कि गोलू वही व्यक्ति है जिसे सीबीआई ने रामगंजमंडी आरपीएफ को रिश्वत देने के मामले में गिरफ्तार किया था और 3 महीने जेल में रहने के बाद उसे जमानत मिली थी। गोलू के खिलाफ अभी भी अवैध वेंडिंग का केस चल रहा है।
अवैध वेंडर के ट्रेन की चपेट में आकर मौत का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई अवैध वेंडरों की मौत ट्रेन से कटकर हो चुकी है। 28 मार्च को ही जीतू लंगड़ा नाम के एक वेंडर की मौत रतलाम में ट्रेन से कटकर हुई थी। जीतू भी कोटा-रतलाम के बीच अवैध वेंडिंग करता था। इससे पहले अप्रैल 2023 में एक अवैध वेंडर ने पिट लाइन पर खड़ी ट्रेन में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
कोटा रेल मंडल में अभी भी बड़ी संख्या में अवैध वेंडर सक्रिय हैं। कोटा-रतलाम के बीच चलने वाली अवध और देहरादून सहित कई ट्रेनों में दर्जनों वेंडरों को रोजाना आसानी से देखा जा सकता है। यह आश्चर्यजनक है कि ये वेंडर कोटा मंडल रेल प्रशासन की "नजरों" से ओझल हैं, जिसने अपनी आंखों पर पट्टी बांध रखी है। यह हालात तब हैं जब कोटा स्टेशन पर अवैध वेंडिंग को लेकर दो गुटों में फायरिंग तक हो चुकी है। यह घटना एक बार फिर रेलवे प्रशासन की अवैध वेंडिंग पर लगाम लगाने में असफल रहने को उजागर करती है।
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