Rail News: उजागर की गई खबर का बड़ा असर हुआ है। कोटा मंडल रेलवे चिकित्सालय ने आखिरकार जबलपुर मुख्यालय को अपने पास मौजूद अतिरिक्त दवाइयों के स्टॉक की जानकारी दे दी है। अब इस मामले में आगे की कार्रवाई मुख्यालय द्वारा की जाएगी।
गौरतलब है कि कोटा रेलवे अस्पताल ने जबलपुर मुख्यालय से साल भर के लिए जितनी दवाइयों की ज़रूरत थी, उससे ज़्यादा मात्रा में दवाइयाँ मार्च में ही मंगवा ली थीं। इतनी ज़्यादा दवाइयाँ आने की जानकारी होने के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने उन्हें वापस जबलपुर भेजना ज़रूरी नहीं समझा। इसके बजाय, अस्पताल इन अतिरिक्त दवाइयों को खपाने में लग गया। मरीजों को उनकी ज़रूरत से ज़्यादा दवाइयाँ बांटी जाने लगीं, ताकि स्टॉक खत्म हो सके। करीब तीन महीने तक यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा।
पिछले हफ़्ते 'कोटा रेल न्यूज़' ने इस पूरी गड़बड़ी का ख़ुलासा किया था। इसके बाद ही अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और तीन महीने बाद मुख्यालय को अतिरिक्त दवाइयों की जानकारी दी गई। यह ध्यान देने योग्य है कि दवाइयों की मांग रेलवे द्वारा बनाए गए ऑनलाइन सिस्टम पर की जाती है। इसके बावजूद इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई, जिससे रेलवे को लाखों रुपये का चूना लगने की आशंका है।
इस पूरे मामले में एक और खास बात यह है कि ज़्यादा दवाइयाँ मंगवाने वाले स्टोर इंचार्ज डॉ. धीरज गोयल को हाल ही में जीएम अवार्ड से सम्मानित भी किया गया था। हालांकि, डॉ. गोयल ने अधिक दवाई मंगाने की बात से साफ इनकार किया था।
उल्लेखनीय है कि लोकल खरीद के अलावा, रेलवे अस्पताल में हर साल एक करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की दवाइयाँ मंगवाई जाती हैं। इस मामले में मुख्यालय द्वारा अब क्या कदम उठाए जाते हैं, यह देखना बाकी है।
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