कोटा। रेल पटरियों पर काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर जानकारी सामने आई है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि पिछले पांच सालों में ड्यूटी के दौरान दुर्घटनाओं में कुल 361 रेलवे कर्मचारियों की मौत हुई है।
मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इन मौतों में सबसे अधिक संख्या मध्य रेलवे में 44 दर्ज की गई है। इसके बाद उत्तर रेलवे में 40, उत्तर-मध्य रेलवे में 31, पूर्व-मध्य रेलवे में 30, दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे और उत्तर-पश्चिम रेलवे में 24-24, तथा दक्षिणी रेलवे में 20 मौतें हुई हैं।
वहीं, कोटा मंडल सहित पश्चिम-मध्य रेलवे, पश्चिम रेलवे और पूर्वी तट रेलवे में 19-19 मौतों का आंकड़ा सामने आया है। पूर्वी रेलवे में 23, दक्षिण-मध्य रेलवे में 18, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में 16, दक्षिण-पूर्व रेलवे में 15, उत्तर-पूर्व रेलवे में 13 और दक्षिण-पश्चिम रेलवे में 6 मौतें दर्ज की गईं।
रेल मंत्री ने इन बड़ी संख्या में हुई मौतों का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि कम ध्वनि, ट्रेनों की बढ़ी हुई गति और पटरियों के घुमाव के कारण ट्रैकमैन और चाबी वाले अक्सर ट्रेनों की चपेट में आ जाते हैं।
एक अन्य प्रश्न के जवाब में रेल मंत्री ने बताया कि रेल पटरियों पर दुर्घटनाएं रोकने के लिए 'रक्षक' नामक एक प्रणाली विकसित की गई है। यह वॉकी-टॉकी जैसा एक उपकरण है, जो ट्रैकमैनों को ट्रेन आने की चेतावनी देता है।
हालांकि, मंत्री ने स्वीकार किया कि यह उपकरण हर जगह समान रूप से काम नहीं करता है। यह पहाड़ी इलाकों, गहरी कटाई, सुरंगों और तीखे मोड़ों पर प्रभावी नहीं है, जहां दृष्टि की रेखा में बाधा होती है। इसके अलावा, यह प्रणाली स्वचालित ब्लॉक सिग्नलिंग क्षेत्र में भी पूरी तरह से काम नहीं करती है, जहां एक ही ब्लॉक सेक्शन में कई ट्रेनें कम अंतराल पर चलती हैं और सिग्नल एक किलोमीटर दूर रखे जाते हैं। यह सिस्टम दो से अधिक लाइनों वाले अनुभागों पर भी काम नहीं करता है। इन्हीं खामियों की वजह से 'रक्षक' प्रणाली को अभी तक भारतीय रेलवे के 55 डिवीजनों पर उपलब्ध नहीं कराया गया है।
रेल मंत्री ने बताया कि इन खामियों के चलते 'रक्षक' प्रणाली को और अधिक एडवांस बनाने पर जोर दिया जा रहा है। उच्च आवृत्ति (VHF) आधारित 'अप्रोचिंग ट्रेन वार्निंग सिस्टम (रक्षक)' के प्रावधान के लिए 12 जोनल रेलवे के लिए 91.61 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
वर्तमान में, दुर्घटनाएं रोकने के लिए ट्रैकमैनों को चमकदार जैकेट, सुरक्षा हेलमेट, माइनर लाइट, ट्राई-कलर टॉर्च, सुरक्षा जूते, रेट्रो-रिफ्लेक्टिव, उच्च दृश्यता जैकेट और हल्के वजन वाले उन्नत उपकरण भी दिए जाते हैं। इन तमाम उपायों के बावजूद, ट्रैकमैनों के पटरी पर मौतों का सिलसिला चिंता का विषय बना हुआ है।
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