भारत के ‘एडमैन’ पीयूष पांडे का निधन: 70 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

भारत के ‘एडमैन’ पीयूष पांडे का निधन: 70 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

 

भारत के ‘एडमैन’ पीयूष पांडे का निधन: 70 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा; जयपुर से था गहरा लगाव, 2014 में दिया था यह पॉलिटिकल नारा 💔

जयपुर। भारतीय विज्ञापन जगत की एक अनमोल आवाज और 'एडमैन' के नाम से मशहूर पीयूष पांडे का शुक्रवार को 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया। चार दशकों से अधिक समय तक ओगिल्वी इंडिया का चेहरा रहे पीयूष पांडे ने अपनी रचनात्मकता और भारतीय उपभोक्ता की गहरी समझ से विज्ञापन की दुनिया में क्रांति ला दी। उनकी देसी भाषा में जादू बुनने की कला ने उन्हें विज्ञापन जगत का बेताज बादशाह बनाया।


 

जयपुर से शुरू हुआ रचनात्मक सफर

 

राजस्थान की राजधानी जयपुर में जन्मे पीयूष पांडे का बचपन कला और रचनात्मकता से भरे माहौल में बीता।

  • उन्होंने जयपुर के सेंट जेवियर्स स्कूल से शिक्षा पूरी की।

  • युवावस्था में उन्होंने राजस्थान की रणजी ट्रॉफी क्रिकेट टीम के लिए भी क्रिकेट खेला।

  • उनके भाई प्रसून पांडे मशहूर फिल्म निर्देशक बने और बहन इला अरुण ने गायिका व अभिनेत्री के रूप में ख्याति अर्जित की।

पीयूष पांडे ने बताया था कि उन्होंने अपनी मशहूर कैचलाइन 'चल मेरी लूना' की प्रेरणा बचपन में खिलौने वाले घोड़े को चलाते वक्त बोले जाने वाले 'चल मेरे घोड़े टिक-टिक-टिक' से ली थी। यह उनकी लोक की भाषा को समझने की गहरी कला थी।


 

विज्ञापन जगत में लाई क्रांति

 

1982 में ओगिल्वी इंडिया से जुड़ने के बाद पीयूष पांडे ने अंग्रेजी-केंद्रित विज्ञापनों के दौर में भारतीयता और भावनाओं को केंद्र में लाकर क्रांति ला दी। उनकी बनाई कैचलाइनें आज भी अमर हैं:

  • चल मेरी लूना...

  • क्या स्वाद है जिंदगी में... (कैडबरी)

उनकी खासियत रोजमर्रा की जिंदगी के छोटे-छोटे देसी शब्दों को पकड़कर उन्हें अमर नारे बना देना था।

 

2014 का चर्चित राजनीतिक नारा

 

विज्ञापन की दुनिया से इतर, पीयूष पांडे ने भारतीय राजनीति में भी अपनी रचनात्मकता की छाप छोड़ी। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का चर्चित और लोकप्रिय नारा 'अबकी बार मोदी सरकार' उन्हीं के दिमाग की उपज था। यह नारा देश भर में गूंजा और सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि लोगों की जुबान बन गया।


 

विरासत रहेगी अमर

 

पीयूष पांडे ने न सिर्फ विज्ञापन जगत में क्रांति लाई, बल्कि युवा रचनाकारों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित भी किया। 2018 में उन्हें और उनके भाई प्रसून को रचनात्मक उपलब्धियों के लिए Cannes Lions का प्रतिष्ठित St. Marks Award मिला था। उनकी विरासत आज भी विज्ञापन जगत और देश के रचनात्मक परिदृश्य में जिंदा रहेगी।

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