जल जीवन मिशन: 1500 करोड़ का 'पेमेंट स्कैम' बेनकाब, फोटो दिखाकर फर्मों ने उठाया करोड़ों का एडवांस

जल जीवन मिशन: 1500 करोड़ का 'पेमेंट स्कैम' बेनकाब, फोटो दिखाकर फर्मों ने उठाया करोड़ों का एडवांस

जयपुर। राजस्थान के बहुचर्चित जल जीवन मिशन (JJM) घोटाले में अब एक नया और चौंकाने वाला मोड़ आया है। एसआईटी (SIT) की जांच में सामने आया है कि यह घोटाला सिर्फ 900 करोड़ के फर्जी टेंडर तक सीमित नहीं है, बल्कि इंजीनियरों और फर्मों की मिलीभगत से करीब 1200 से 1500 करोड़ रुपये का 'पेमेंट स्कैम' किया गया है।

सामग्री पहुंची नहीं, फोटो दिखाकर उठाया भुगतान

नियमों के मुताबिक, जेजेएम परियोजनाओं में 70 प्रतिशत निर्माण सामग्री मौके पर पहुंचने के बाद ही भुगतान का प्रावधान है। लेकिन जांच में खुलासा हुआ है कि जयपुर, जोधपुर, बांसवाड़ा, दूदू और सीकर सहित प्रदेश के 12 रीजन में फर्मों ने सामग्री पहुंचाए बिना ही भुगतान उठा लिया।

  • फर्जीवाड़ा: फर्मों ने किसी एक साइट पर रखी सामग्री के फोटो खींचे और उन्हीं फोटो को कई अन्य साइटों का बताकर इंजीनियरों से मिलीभगत की।

  • एडवांस पेमेंट: बिना धरातल पर काम किए कागजों और तस्वीरों के आधार पर 1500 करोड़ रुपये का एडवांस पेमेंट उठा लिया गया।

भ्रष्टाचार की 'पूरी चैन' जांच के घेरे में

एसीबी (ACB) और एसआईटी ने इस मामले में जलदाय विभाग के तत्कालीन आला अधिकारियों पर शिकंजा कस दिया है। राज्य सरकार ने तत्कालीन ACS सुबोध अग्रवाल (IAS), चीफ इंजीनियर दलीप गौड़, केडी गुप्ता, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति दे दी है।

  • दस्तावेज जब्त: एसआईटी ने जल भवन से 10 हजार करोड़ के टेंडर और इरकॉन कंपनी के फर्जी सर्टिफिकेट से जुड़े 900 करोड़ के टेंडरों की फाइलें जब्त कर ली हैं।

  • बिना काम भुगतान: 5 जिलों में बिना किसी काम के 50 करोड़ से ज्यादा के भुगतान की पत्रावलियां भी जांच के घेरे में हैं।

रातों-रात पाइप डलवाकर सबूत छिपाने की कोशिश

जानकारी के अनुसार, जब 2024 में विभाग के उच्च अधिकारियों को इस गड़बड़झाले की भनक लगी, तो फर्मों ने पकड़े जाने के डर से रातों-रात साइटों पर पाइप डलवा दिए। हालांकि, इसके बाद भी कोई ठोस जांच नहीं हुई और फोटो दिखाकर पेमेंट उठाने का खेल जारी रहा।

इन फर्मों और अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोप

  • श्याम ट्यूबवेल और गणपति ट्यूबवेल: इन फर्मों के प्रोपराइटर पदमचंद जैन और महेश मित्तल पर अधिकारियों से सांठगांठ कर करोड़ों का राजकोष हड़पने का आरोप है।

  • बहरोड़ खंड में फर्जीवाड़ा: तत्कालीन एक्सईएन माया लाल सैनी, एईएन राकेश चौहान और जेईएन प्रदीप कुमार पर मेजरमेंट बुक (MB) में मनमाने आंकड़े भरकर फर्जी भुगतान जारी करने का आरोप है। इस मामले में अब तक 6 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

आगे की कार्रवाई

जब्त किए गए दस्तावेजों की जांच के बाद एसआईटी जल्द ही आईएएस सुबोध अग्रवाल सहित अन्य बड़े अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब करेगी। माना जा रहा है कि जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ेगा, भ्रष्टाचार की कई और परतें खुलेंगी।


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