करौली: गौतम बुद्ध नगर में सार्वजनिक रास्ते पर अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन सख्त, SDM के निर्देश पर पहुंची टीम
करौली। शहर के मंडरायल रोड स्थित गौतम बुद्ध नगर में सार्वजनिक रास्तों पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ अब प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। कॉलोनीवासियों के कड़े विरोध और उपखंड अधिकारी (SDM) को सौंपे गए ज्ञापन के बाद नगर परिषद की टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और अतिक्रमणकारियों को अंतिम चेतावनी दी।
आम रास्ते पर पत्थर और पानी की टंकी लगाकर किया कब्जा
जानकारी के अनुसार, खसरा नंबर 8314 के अंतर्गत आने वाले मुख्य मार्ग और अन्य सार्वजनिक रास्तों पर कुछ स्थानीय लोगों—देवी सिंह बेरवा, केदार, दिनेश, सोहनलाल, रवि तिवारा एवं अन्य—द्वारा पिछले कई महीनों से अतिक्रमण किया हुआ था। किसी ने रास्ते में पत्थर डालकर रास्ता अवरुद्ध कर रखा था, तो किसी ने पानी की टंकी रखकर आवागमन बाधित कर दिया था। इस कारण कॉलोनी के लोगों को निकलने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
कॉलोनीवासियों ने SDM को सौंपा ज्ञापन
अतिक्रमण से परेशान होकर कॉलोनी के निवासियों ने एकजुट होकर उपखंड अधिकारी प्रेमराज मीना को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि सार्वजनिक रास्ते पर अवैध कब्जे के कारण न केवल दैनिक आवागमन प्रभावित हो रहा है, बल्कि भविष्य में आपातकालीन स्थिति में भी बड़ी कठिनाई पैदा हो सकती है।
प्रशासनिक टीम ने किया मौका मुआयना
मामले की गंभीरता को देखते हुए SDM प्रेमराज मीना ने नगर परिषद को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। निर्देशानुसार, नगर परिषद के जेईएन (JEN) दिनेश चांदना अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। टीम ने विवादित स्थल का निरीक्षण किया और पाया कि वास्तव में सार्वजनिक रास्ते को अवरुद्ध किया गया है।
अतिक्रमणकारियों को मिली चेतावनी
नगर परिषद की टीम ने मौके पर ही अतिक्रमणकारियों को सख्त हिदायत दी कि वे स्वयं अपना अतिक्रमण हटा लें। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि स्वेच्छा से रास्ता साफ नहीं किया गया, तो नगर परिषद द्वारा नियम विरुद्ध किए गए कब्जों को बलपूर्वक हटाया जाएगा और इसका हर्जाना भी संबंधित व्यक्तियों से वसूला जाएगा।
निवासियों ने जताई संतोष
निरीक्षण के दौरान नगर परिषद के कर्मचारियों के साथ बड़ी संख्या में कॉलोनीवासी भी मौजूद रहे। प्रशासन द्वारा त्वरित संज्ञान लिए जाने पर लोगों ने संतोष व्यक्त किया है। हालांकि, स्थानीय लोगों की मांग है कि जब तक रास्ता पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त नहीं हो जाता, तब तक प्रशासन को इस पर नजर रखनी चाहिए ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो।
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