कोटा। कोटा डीआरएम (DRM) ऑफिस में सोमवार को आयोजित 'पेंशन अदालत' अपनी अव्यवस्थाओं के चलते चर्चा में रही। अपनी पेंशन संबंधी समस्याओं के समाधान की उम्मीद लेकर आए रिटायर्ड रेलकर्मियों को घंटों तक अधिकारियों का इंतजार करना पड़ा। निर्धारित समय से दो घंटे देरी से शुरू हुई इस अदालत के कारण कई बुजुर्ग पेंशनर बिना सुनवाई के ही वापस लौट गए।
पेंशन अदालत के शुरू होने का समय सुबह 11 बजे तय किया गया था। कड़ाके की ठंड और अपनी उम्र के तकाजे के बीच कई पेंशनर समय पर पहुंच गए थे, लेकिन डीआरएम सहित अन्य प्रमुख अधिकारी दोपहर करीब 1:05 बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।
दो घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने के कारण कई वृद्ध पेंशनरों की हालत खराब होने लगी और वे खासे परेशान नजर आए। अंततः जब सब्र का बांध टूटा, तो कई बुजुर्ग बिना अपनी समस्या बताए ही घर वापस चले गए।
पेंशन अदालत में देरी से पहुंचने वाले अधिकारियों में मुख्य रूप से शामिल थे:
वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी: सुप्रकाश
वरिष्ठ मंडल वित्त प्रबंधक: भंवर सिंह
सहायक मंडल वित्त प्रबंधक: विश्राम मीणा
सहायक कार्मिक अधिकारी: विद्या भूषण भारती
भारतीय स्टेट बैंक की प्रबंधक: सत्या
अदालत शुरू होने पर डीआरएम मनीष तिवारी (कालरा) ने उपस्थित पेंशनरों को संबोधित किया। उन्होंने सभी से अपनी समस्याओं को लिखित रूप में देने के लिए कहा और विश्वास दिलाया कि प्राप्त सभी शिकायतों का त्वरित समाधान कर दिया जाएगा। इस दौरान पेंशनर संगठनों के प्रतिनिधि डीके अरोड़ा, जीपी सिंह और विनोद गुप्ता भी मौजूद रहे और पेंशनरों की समस्याओं को अधिकारियों के सामने रखा।
एक ओर जहाँ डीआरएम ऑफिस में अव्यवस्था दिखी, वहीं दूसरी ओर रेलवे वर्कशॉप में भी पेंशन अदालत का आयोजन हुआ। यहाँ मुख्य कारखाना प्रबंधक सुधीर सरवरिया की अध्यक्षता में पेंशन से जुड़े 20 मामलों का मौके पर ही निपटारा किया गया, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राहत मिली।
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