नई दिल्ली/कोटा। मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के गढ़ कोटा में घटती छात्र संख्या और उससे डगमगाती स्थानीय अर्थव्यवस्था को लेकर बुधवार को दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कोटा के प्रमुख कोचिंग संस्थानों के निदेशक, हॉस्टल संचालक और विभिन्न व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि कोटा में छात्रों की संख्या, जो कभी लाखों में हुआ करती थी, अब काफी कम हो गई है। इसका सीधा असर कोटा की 5000 करोड़ से अधिक की कोचिंग इंडस्ट्री पर पड़ा है। हॉस्टल्स में कमरे खाली पड़े हैं और मेस व स्थानीय व्यापारियों का कारोबार भी प्रभावित हुआ है।
कोटा की साख को पुनः स्थापित करने और छात्रों का भरोसा जीतने के लिए बैठक में कई महत्वपूर्ण संकल्प लिए गए:
सस्ती और सुरक्षित शिक्षा: छात्रों को न केवल गुणवत्तापूर्ण बल्कि सस्ती और सुरक्षित शिक्षा देने पर जोर दिया गया।
बेहतर आवास व्यवस्था: हॉस्टल संचालकों ने बेहतर और सुरक्षित आवास सुविधाएं प्रदान करने का वादा किया है।
संस्कारयुक्त वातावरण: शिक्षा के साथ-साथ छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और संस्कारों पर ध्यान देने की बात कही गई।
समस्याओं का त्वरित समाधान: छात्रों और उनके अभिभावकों की शिकायतों व समस्याओं के लिए एक प्रभावी वैकल्पिक संसाधन और सपोर्ट सिस्टम विकसित किया जाएगा।
कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी और नितिन विजय ने कहा कि कोटा के शिक्षकों, कर्मचारियों और व्यापारियों को एकजुट होकर विद्यार्थियों की सेवा में जुटना होगा। हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने विश्वास जताया कि यदि शहर की जनता और संस्थान मिल-जुलकर काम करेंगे, तो कोटा पुनः अपनी पुरानी रौनक हासिल कर सकेगा।
बैठक में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कोटा के शैक्षणिक स्तर को सुधारने और IIIT कोटा जैसी संस्थाओं के विस्तार पर भी चर्चा की। यह तय किया गया कि विद्यार्थियों को तनावमुक्त माहौल देने के लिए 'कोटा केयर्स' जैसे अभियानों को और मजबूती से लागू किया जाएगा।
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