कोटा रेल मंडल: डमी कैंडिडेट से नौकरी पाने वाली सपना और आशा मीणा बर्खास्त

कोटा रेल मंडल: डमी कैंडिडेट से नौकरी पाने वाली सपना और आशा मीणा बर्खास्त

कोटा: कोटा मंडल रेल प्रशासन ने आखिरकार डमी कैंडिडेट के जरिए नौकरी हासिल करने के आरोप में सपना और आशा मीणा को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। जांच में फर्जी तरीके से नौकरी लगने की पुष्टि होने के बाद यह कार्रवाई की गई है।

रेलवे प्रशासन ने दोनों की बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि दोनों पर आरोप था कि उन्होंने अपनी जगह डमी कैंडिडेट बैठाकर रेलवे की भर्ती परीक्षा पास की और नौकरी हासिल की। इस मामले की जांच रिपोर्ट प्रशासन को 17 मार्च को ही सौंप दी गई थी।

इस मामले में सपना और आशा को नौकरी दिलाने में कथित रूप से मदद करने वाले गार्ड राजेंद्र मीणा और वर्कशॉप में टेक्नीशियन चेतराम मीणा पहले से ही निलंबित चल रहे हैं। उम्मीद है कि इन पर भी जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।

रेलवे प्रशासन और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) इस मामले में आगे की कार्रवाई में जुटे हुए हैं। शुक्रवार को सीबीआई की टीम ने डीआरएम ऑफिस पहुंचकर मामले से जुड़े दस्तावेजों की जांच की और कुछ महत्वपूर्ण कागजात जब्त किए।

और भी फर्जी रेलकर्मियों का खुलासा

जांच में डमी कैंडिडेट के जरिए रेलवे में फर्जी नौकरी लगने के और भी मामले सामने आए हैं। इनमें से कुछ रेलकर्मी भोपाल में कार्यरत बताए जा रहे हैं और वे नौकरी दिलाने वालों के रिश्तेदार हैं। सीबीआई इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है और जल्द ही बड़े खुलासे की उम्मीद है।

हेल्पर थी सपना, आशा पॉइंट्समैन

बर्खास्त की गई सपना टीआरडी विभाग में हेल्पर के पद पर कार्यरत थी, लेकिन कथित तौर पर अधिकारियों की मिलीभगत से वह डीआरएम ऑफिस में काम कर रही थी। वहीं, आशा सोगरिया स्टेशन पर पॉइंट्समैन के पद पर तैनात थी।

जांच में पता चला कि सपना के नाम पर दिल्ली में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात लक्ष्मी मीणा नामक महिला ने डमी कैंडिडेट के रूप में रेलवे भर्ती परीक्षा दी थी। यहां तक कि वेरिफिकेशन और मेडिकल टेस्ट भी लक्ष्मी मीणा की जगह किसी और ने दिए थे। नौकरी लगने के समय लक्ष्मी की जगह सपना सामने आ गई। अप्रैल 2023 में सपना ट्रेनिंग के लिए सिरसा, हरियाणा चली गई और ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उसकी पोस्टिंग बीकानेर में हुई। बाद में म्यूचुअल ट्रांसफर के जरिए वह कोटा आ गई।

डेढ़ साल ही कर सकी नौकरी

इस तरह सपना करीब डेढ़ साल तक ही नौकरी कर सकी। पिछले साल अगस्त में सपना के पति मनीष ने रेलवे को उसकी फर्जी नौकरी की शिकायत की थी। यह मामला सबसे पहले सितंबर में 'कोटा रेल न्यूज़' में सामने आया और धीरे-धीरे बढ़ता गया। नवंबर में प्रशासन ने सपना और आशा को निलंबित कर दिया था।

इसके बाद यह मामला जयपुर सीबीआई में दर्ज किया गया। सीबीआई की एफआईआर में सपना, लक्ष्मी, राजेंद्र और चेतराम के अलावा दो अज्ञात अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं, जिनके नाम भी जल्द सामने आ सकते हैं।

15 लाख किए खर्च

इस मामले में सपना के पति मनीष का दावा है कि उसने अपनी पत्नी की नौकरी लगवाने के लिए जमीन बेचकर 15 लाख रुपए खर्च किए थे। उसने यह पैसे राजेंद्र मीणा को दिए थे और उसके पास इसके सबूत भी मौजूद हैं, जो उसने सीबीआई को सौंप दिए हैं।

मनीष ने आरोप लगाया कि कुछ अधिकारियों ने अपने निजी स्वार्थ के चलते सपना का बचाव करने की भी कोशिश की, जिसके कारण सपना अपने सहकर्मियों पर अधिकारियों की धौंस दिखाती थी।

मनीष ने बताया कि सारे सबूत देने के बावजूद भी अधिकारी लंबे समय तक सपना के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के पक्ष में नहीं दिखे। इसके बाद उसने डीआरएम, विजिलेंस, सीबीआई और मीडिया को कई बार शिकायत की, जिसके बाद आखिरकार सपना को नौकरी से बर्खास्त किया गया, जिसमें करीब 8 महीने लग गए।

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