लालू के 'लैंड फॉर जॉब' घोटाले की आंच कोटा तक, वर्कशॉप के 5 कर्मचारी CBI जांच के दायरे में

लालू के 'लैंड फॉर जॉब' घोटाले की आंच कोटा तक, वर्कशॉप के 5 कर्मचारी CBI जांच के दायरे में

कोटा।राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित 'लैंड फॉर जॉब' (जमीन के बदले नौकरी) घोटाले की जांच अब कोटा रेलवे मंडल तक भी पहुंच चुकी है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में कोटा रेलवे माल डिब्बा मरम्मत कारखाना (वर्कशॉप) के पांच कर्मचारियों को अपनी जांच में शामिल किया है।

🔍 जांच में शामिल कर्मचारी

सीबीआई की जांच के दायरे में आए इन पांच कर्मचारियों में ये नाम शामिल हैं:

  1. अरविंद मनोहर श्रीवास्तव (वेल्डर टेक्नीशियन)

  2. बलीराम राय (टेक्नीशियन लुहार)

  3. गिर्राज सिंह (क्लर्क)

  4. रामावतार यादव (टेक्नीशियन बीआर शॉप)

  5. रंजीत कुमार राय (टेक्नीशियन बीआर शॉप)

उल्लेखनीय है कि गिर्राज सिंह ने चतुर्थ श्रेणी में नौकरी प्राप्त की थी और अब वह पदोन्नत होकर क्लर्क के पद तक पहुंच चुका है।

📜 सीबीआई की कार्रवाई

सीबीआई ने इन कर्मचारियों के संबंध में आवश्यक कार्रवाई के लिए मार्च 2013 में ही वर्कशॉप प्रशासन को पत्र लिखा था। इस पत्र के माध्यम से इन कर्मचारियों की मूल सेवा पंजिका और मूल व्यक्तिगत फाइल (निजी मिसिल) मांगी गई थी। बाद में सीबीआई ने इन कर्मचारियों से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी भी मांगी।

जांच के दौरान सीबीआई ने मामले में संलिप्तता की आशंका पर दिल्ली बुलाकर कई कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए हैं। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में अभी और भी परतें खुलने की संभावना है और अन्य कर्मचारियों को भी जांच में शामिल किया जा सकता है।

💰 क्या है 'लैंड फॉर जॉब' घोटाला?

यह घोटाला तब हुआ जब लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेलमंत्री थे। आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान बड़ी संख्या में युवाओं को रेलवे में नौकरी दी गई, जिसके बदले उनके और उनके परिवार के नाम पर जमीनें ली गईं। नौकरी पाने वालों में अधिकांश बेरोजगार बिहार के रहने वाले थे। उस समय कई अधिकारियों पर भी अपने भाई-भतीजों और भांजों को नौकरी दिलवाने का आरोप है। केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद इस मामले की जांच शुरू की गई थी, जिसके बाद मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।

📚 अनपढ़ कर्मचारियों की भर्ती

जांच से जुड़े एक चौंकाने वाले पहलू में यह भी सामने आया है कि कई कर्मचारियों को लिखना-पढ़ना तक नहीं आता था। ऐसा ही एक कर्मचारी डीपीसी ऑफिस में आया था, जिसे गिनती लिखना और बोलना तक नहीं आता था। हालांकि, यह कर्मचारी यहां कुछ ही महीने रहा और बाद में बिना 'म्युचुअल' (आपसी सहमति) के किसी कर्मचारी का बिहार ट्रांसफर हो गया था।

वर्कशॉप प्रशासन का रुख:

मामले को लेकर मुख्य कारखाना प्रबंधक सुधीर सरवरिया ने कहा, "फिलहाल वर्कशॉप का ऐसा कोई मामला मेरी जानकारी में नहीं आया है। मामले को दिखवाते हैं।"

#लालूघोटाला #लैंडफॉरजॉब #CBIजांच #कोटावर्कशॉप #रेलवेघोटाला #कोटा #रेलवेभर्ती #बिहार #LandForJobScam #CBI

G News Portal G News Portal
151 0

0 Comments

No comments yet. Be the first to comment!

Leave a comment

Please Login to comment.

© G News Portal. All Rights Reserved.