कोटा। रेलवे में एक लोको पायलट को सात महीने के भीतर नौ चार्जशीट थमाए जाने के सनसनीखेज मामले में दूसरे दिन शुक्रवार को भी विभिन्न एजेंसियों द्वारा पूछताछ जारी रही। जांच टीमों ने कई लोको पायलटों और कार्यालय कर्मचारियों से गहन पूछताछ की और आवश्यक दस्तावेजों की भी बारीकी से जांच की। हालांकि, जांच के दौरान फिलहाल एजेंसियों को कई सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं मिल सके हैं, जिससे वे संतुष्ट नहीं दिख रही हैं।
इस मामले की जांच कर रही एजेंसियों की कार्रवाई का विस्तृत पता अभी नहीं चल पाया है। माना जा रहा है कि जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद ही इस मामले के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का खुलासा हो सकेगा। खबर लिखे जाने तक शुक्रवार को भी जांच जारी रहने की संभावना है।
मामला उजागर होते ही रेलवे में हड़कंप एक लोको पायलट को इतनी कम अवधि में इतनी अधिक चार्जशीट दिए जाने का मामला सामने आने के बाद गुरुवार को रेलवे अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया। यह खबर मुख्यालय से होते हुए रेलवे बोर्ड तक पहुंच गई, और अधिकारी इस पूरे प्रकरण को जानने के लिए उत्सुक नजर आए। कर्मचारियों के बीच यह मामला दिनभर चर्चा का विषय बना रहा। रनिंग स्टाफ के व्हाट्सएप ग्रुप्स में इस खबर को जमकर साझा किया गया, और रनिंग रूम व लॉबी में कर्मचारी इस मुद्दे पर गहन चर्चा करते देखे गए।
क्या है पूरा मामला? दरअसल, रेलवे अधिकारियों ने एक लोको पायलट को मात्र सात महीने में नौ चार्जशीटें जारी कर दीं। इसके बाद पीड़ित लोको पायलट ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय, रेलवे बोर्ड, पश्चिम मध्य रेलवे के महाप्रबंधक, अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग और मानवाधिकार आयोग सहित कई अन्य एजेंसियों को कर दी। इन शिकायतों के आधार पर ही अब विभिन्न एजेंसियों द्वारा मामले की जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि जिस अवधि में ये चार्जशीटें दी गईं, उसी दौरान अधिकारियों द्वारा एक ही तरह की गलती पर लोको पायलटों को अलग-अलग सजा देने के भी लगभग नौ मामले सामने आए हैं, जो इस प्रकरण को और भी गंभीर बनाता है।
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