कोटा। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव और दिल्ली चांदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने ऑनलाइन व्यापार कर रही विदेशी कंपनियों पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने शनिवार को कोटा में एक पत्रकार वार्ता में कहा कि ये विदेशी कंपनियां एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के नाम पर देश को लूट रही हैं।
प्रवीण खंडेलवाल ने आरोप लगाया कि ये कंपनियां कई ऐसे काम कर रही हैं जो भारत में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हैं और एफडीआई नियमों का भी उल्लंघन करती हैं।
❌ प्रतिबंधित प्रथाओं का इस्तेमाल: प्रवीण ने बताया कि इन अनैतिक प्रथाओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
प्रेडिक्टरी प्राइसिंग (बाजार बिगाड़ने वाले दाम)
गिफ्ट और डिस्काउंट की आड़ में मनमानी
लॉस फंडिंग (घाटा सहकर दाम कम रखना)
इन्वेंटरी पर नियंत्रण रखना
उन्होंने आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार अब इन सभी अनियमितताओं पर सख्ती बरतने जा रही है। उन्होंने जानकारी दी कि ई-कॉमर्स पर नई नीति और उपभोक्ता मामलों के नए नियम जल्द ही आने वाले हैं, साथ ही राष्ट्रीय व्यापार नीति पर भी काम चल रहा है।
🛍️ भारतीय व्यापारियों को बनना होगा ऑनलाइन सशक्त: प्रवीण खंडेलवाल ने भारतीय व्यापारियों को प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि व्यापारियों के कौशल विकास के साथ-साथ उनकी एक ऑनलाइन दुकान भी होनी चाहिए, क्योंकि बाजार उपभोक्ता की मांग के अनुरूप चलता है। यदि भारतीय व्यापारी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित करने की क्षमता हासिल कर लेते हैं, तो उन्हें नुकसान नहीं होगा। उन्होंने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकारों से इस मुद्दे पर लगातार बातचीत हो रही है और जल्द ही एक मजबूत तंत्र बनेगा, जिसके बाद विदेशी कंपनियां अनियमितता करते हुए पकड़ी जाएंगी।
💡 उपभोक्ता जागरूकता जरूरी: नकली सामान बेचे जाने के मुद्दे पर प्रवीण ने कहा कि उपभोक्ताओं को भी जागरूक होना होगा। उन्होंने सवाल किया, "जब वे असली सामान के पैसे दे रहे हैं, तो घटिया या नकली माल क्यों खरीदें?" उन्होंने बताया कि कैट ने कई उपभोक्ता समूहों, परिवहन और लघु उद्योग संगठनों के साथ मिलकर एक व्यापक मोर्चा (अंब्रेला) तैयार किया है, ताकि सामूहिक शक्ति से विदेशी ऑनलाइन कंपनियों के प्रतिरोध को मजबूत किया जा सके।
🇮🇳 स्वदेशी पर्यटन को मिले बढ़ावा: पत्रकार वार्ता में मौजूद कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने कैट के प्रयासों की सराहना की और स्वदेशी वस्तुओं के साथ स्वदेशी पर्यटन को भी बढ़ावा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि डेस्टिनेशन वेडिंग के नाम पर हजारों करोड़ रुपये विदेश में खर्च किए जाते हैं, यह पैसा भारत में ही खर्च होना चाहिए जिससे स्थानीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलेगा।
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