कोटा। रेलवे प्रशासन द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से कोटा क्रू (लोको पायलट और सहायक लोको पायलट) से 373 किलोमीटर दूर सागर तक जबरन मालगाड़ियां चलवाई जा रही हैं, जिसके कारण कोटा क्रू को अपने घर लौटने में चार दिन तक का समय लग रहा है। यह स्थिति हाई पावर कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन है, जिसके अनुसार क्रू को किसी भी हालत में 36 घंटे के भीतर अपने मुख्यालय वापस लौटना अनिवार्य है। हालांकि, कोटा मंडल रेल प्रशासन अपनी हठधर्मिता के चलते इस नियम का बिल्कुल भी पालन नहीं कर रहा है।
लोको पायलटों ने बताया कि कोटा से इतनी दूर तक कोई भी यात्री या मेल एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन नहीं होता। कोटा से सागर के बीच कोई निर्धारित 'वर्किंग बीट' (कार्य क्षेत्र) भी नहीं है। इसके बावजूद, कोटा से सागर तक मालगाड़ियों का संचालन करवाया जा रहा है।
लोको पायलटों ने यह भी बताया कि सागर तक मालगाड़ी चलाने के लिए भोपाल और जबलपुर मंडल को भी पार करना पड़ता है। यह कोटा के रनिंग स्टाफ के लिए बेहद कष्टप्रद है कि उन्हें भोपाल और जबलपुर मंडल की ट्रेनों को भी चलाना पड़ रहा है। जबकि कोटा में पहले से ही रनिंग स्टाफ की कमी है, वहीं भोपाल और जबलपुर की स्थिति बेहतर है। कोटा में क्रू बुकिंग 14 से 16 घंटे में हो रही है, जबकि भोपाल और जबलपुर में यह समय 16 से 22 घंटे तक का है।
लोको पायलटों ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि इतनी लंबी वर्किंग के चलते उन्हें कम से कम चार दिन बाद घर लौटना होता है, और इसके बाद 16 घंटे बाद उनकी दोबारा ड्यूटी लग जाती है। स्टाफ की कमी के कारण उन्हें समय पर छुट्टियां और आराम भी नहीं मिल पा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, सागर तक वर्किंग करने वाले रनिंग स्टाफ का पारिवारिक और सामाजिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि कोटा का 90 प्रतिशत रनिंग स्टाफ सागर तक वर्किंग नहीं चाहता है। प्रशासन द्वारा करवाई गई 'रायशुमारी' (जनमत संग्रह) के बाद यह बात सामने आई। सागर तक की वर्किंग के लिए प्रशासन ने रनिंग स्टाफ से 'विलिंगनेस' (इच्छा) मांगी थी, जिसमें 99 प्रतिशत स्टाफ ने सागर तक वर्किंग करने से साफ इनकार कर दिया था। इसके बावजूद, प्रशासन ने अभी तक सागर तक की वर्किंग को बंद नहीं किया है।
इस पूरे मामले की जानकारी DRM अनिल कालरा को भी है। मामले को लेकर DRM को कई बार ज्ञापन दिए जा चुके हैं और विरोध-प्रदर्शन तक हो चुका है। लेकिन इन सबके बावजूद, व्यवस्था में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है।
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