कोटा। रामगंजमंडी-झालावाड़ स्टेशनों के बीच स्थित जुल्मी स्टेशन पर शुक्रवार को एक मालगाड़ी के ट्रक से टकराने की घटना की खबर फैलते ही कोटा कंट्रोल रूम के हूटर तेजी से बज उठे। हूटर बजते ही कोटा से मेडिकल और दुर्घटना राहत ट्रेन (एआरएमई) घटनास्थल के लिए रवाना की गई। जुल्मी स्टेशन पर पहुंचने पर रेलवे अधिकारियों द्वारा इसे एक 'मॉक ड्रिल' घोषित किया गया।
रेलवे अधिकारियों ने इस मॉक ड्रिल को सफल बताया है, खासकर इस बार गोपनीयता बनाए रखने के प्रयास को लेकर। पिछली बार के अनुभवों से सबक लेते हुए, इस बार मॉक ड्रिल की सूचना को पूरी तरह से गुप्त रखा गया था, जिसके चलते कई अधिकारियों और कर्मचारियों को पहले से इसकी जानकारी नहीं मिल सकी। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि पहले के कई मॉक ड्रिलों की जानकारी अक्सर अधिकारियों और कर्मचारियों को पहले ही मिल जाती थी, जिसके कारण कुछ तो हूटर बजना बंद होने से पहले ही स्टेशन पर पहुंच जाते थे।
हालांकि, इस बार की मॉक ड्रिल की कहानी में कुछ 'झोल' (कमजोरियाँ) थीं। इसके चलते सूचना मिलने पर कई लोगों ने यह अंदाजा लगा लिया था कि यह एक वास्तविक दुर्घटना न होकर केवल एक अभ्यास (मॉक ड्रिल) है। फिर भी, रेलवे का उद्देश्य आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली की तत्परता और दक्षता का परीक्षण करना था, जिसमें उन्होंने काफी हद तक सफलता का दावा किया है।
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