मोरेल बांध 44 साल बाद खतरे के निशान से 4 फीट ऊपर, गंगापुर-सवाई माधोपुर रेलवे ट्रैक पर खतरा

मोरेल बांध 44 साल बाद खतरे के निशान से 4 फीट ऊपर, गंगापुर-सवाई माधोपुर रेलवे ट्रैक पर खतरा

Rail News। दौसा जिले के लालसोट में स्थित मोरेल बांध भारी बारिश के कारण खतरे के निशान से करीब 4 फीट ऊपर बह रहा है। 44 साल बाद बनी इस स्थिति से बांध के टूटने का खतरा मंडरा रहा है, जिससे गंगापुर-सवाई माधोपुर रेलवे खंड के पानी में बह जाने की आशंका है।

यह वही बांध है जो 1981 में टूट गया था, जिससे मलारना और नारायणपुर टटवाड़ा के बीच का रेलवे ट्रैक पुलिया समेत बह गया था। इस ऐतिहासिक घटना को देखते हुए, रेलवे प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हो गया है।

प्रशासन और रेलवे अलर्ट पर रेलवे अधिकारी स्थिति का जायजा लेने के लिए प्रतिदिन बांध का दौरा कर रहे हैं। प्रशासन ने रेड अलर्ट जारी कर दिया है और हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है। किसी भी अनहोनी से बचने के लिए गंगापुर और सवाई माधोपुर के बीच रेलवे ट्रैक पर दिन-रात गश्त की जा रही है।

बांध की स्थिति एशिया का यह सबसे बड़ा कच्ची मिट्टी का बांध है। इसमें पानी की लगातार आवक जारी है, जिससे इसका जलस्तर बढ़ता जा रहा है। अगर बांध टूटता है तो इससे न सिर्फ रेलवे ट्रैक को भारी नुकसान होगा, बल्कि आसपास के कई गांवों में भी बाढ़ आ सकती है।

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