कोटा रेलवे संग सांसदों की बैठक आज: केवल चार सांसदों ने दी सहमति

कोटा रेलवे संग सांसदों की बैठक आज: केवल चार सांसदों ने दी सहमति

कोटा। कोटा रेल मंडल परिक्षेत्र की महत्वपूर्ण सांसदों की बैठक आज (गुरुवार) शहर के महंगे होटल उम्मेद भवन पैलेस में आयोजित होगी। इस बैठक के लिए रेलवे ने मंडल क्षेत्र के 11 सांसदों को आमंत्रित किया है, लेकिन बुधवार देर रात तक इनमें से केवल चार सांसदों ने ही शामिल होने की सहमति दी है।


 

👥 कौन आ रहा है और कौन नहीं?

 

पश्चिम-मध्य रेलवे की महाप्रबंधक शोभना बंदोपाध्याय की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में शामिल होने वाले और अनुपस्थित रहने वाले सांसदों की सूची:

स्थिति सांसद का नाम लोकसभा क्षेत्र
सहमत (आ रहे हैं) भजनलाल जाटव करौली-धौलपुर
  सुधीर गुप्ता मंदसौर
  दामोदर अग्रवाल भीलवाड़ा
  सीपी जोशी चित्तौड़गढ़
असहमति (नहीं आ रहे हैं) ओम बिरला कोटा-बूंदी
  दुष्यंत सिंह बारां-झालावाड़
  संजना जाटव भतरपुर
  अनिल फिरोजिया उज्जैन
  हेमा मालिनी मथुरा
  रोड़मल नागर राजगढ़
  हरिश्चंद्र मीणा सवाई माधोपुर

जिन सांसदों ने सहमति नहीं दी है, उनमें से कई के प्रतिनिधियों के बैठक में शामिल होने की संभावना है।


 

❓ बैठकों की प्रासंगिकता पर सवाल

 

सांसदों की पर्याप्त संख्या में उपस्थिति न होने के कारण इन बैठकों की प्रासंगिकता पर लगातार प्रश्न उठते रहे हैं। विशेष रूप से तब, जब इन बैठकों पर रेलवे का लाखों रुपए खर्च होता है।

 

बैठक से दूरी बनाने का मुख्य कारण:

 

सांसदों द्वारा बैठक से दूरी बनाने का मुख्य कारण मांगों का पूरा न होना बताया जाता है।

  • मुख्य मांगें: सांसदों की अधिकतर मांगें नई ट्रेनें चलाने और ठहराव से संबंधित होती हैं।

  • अधिकार क्षेत्र: ये मांगें पश्चिम-मध्य रेलवे या कोटा मंडल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती हैं, बल्कि इन्हें अंतिम निर्णय के लिए रेलवे बोर्ड भेजा जाता है।

  • परिणाम: रेलवे बोर्ड में ये मांगें लंबे समय तक अटकी रहती हैं और समय पर पूरी नहीं हो पाती हैं।

  • सांसदों का तर्क: सांसद यह तर्क देते हैं कि अगर मांगों को अंततः रेलवे बोर्ड ही भेजना है, तो वे सीधे रेल मंत्री को अपनी मांगों से अवगत कराना बेहतर समझते हैं, जिससे बैठक का औचित्य कम हो जाता है।


 

📅 पिछली बैठकों का हाल

 

  • पिछली बार (21 नवंबर): गत वर्ष 21 नवंबर को हुई बैठक में भी केवल 3 सांसद (दुष्यंत सिंह, सीपी जौशी और सुधीर गुप्ता) ही पहुँचे थे। ओम बिरला सहित कई अन्य सांसदों ने अपना प्रतिनिधि भी भेजना उचित नहीं समझा था।

  • फरवरी में: इससे पहले फरवरी में हुई बैठक में 11 में से चार सांसद पहुँचे थे, जिनमें से भी दुष्यंत सिंह और सुखबिर सिंह जोनपुरिया बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए थे।

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