कोटा। कोटा रेल मंडल में अब पारस्परिक स्थानांतरण (म्युचुअल ट्रांसफर) का एक नया घोटाला सामने आया है, जिसने रेलवे के ऑनलाइन सिस्टम में सेंध लगने और अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका को गहरा दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि शिकायत के चार महीने बीत जाने के बाद भी प्रशासन की ओर से मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, और अधिकारी अब केवल "जांच" की बात कह रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कोटा के लोको पायलट बदन सिंह मीणा और आगरा मंडल के मथुरा में कार्यरत लोको पायलट सुरेश चंद्र मीणा ने पिछले साल म्युचुअल ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था। हालांकि, रेलवे ने यह कहकर उनके आवेदन को रद्द कर दिया था कि बदन सिंह के रिटायरमेंट में 2 साल से भी कम समय बचा है, और नियमानुसार ऐसे में म्युचुअल ट्रांसफर संभव नहीं है।
रेलवे द्वारा मना करने के बावजूद, सिस्टम में कथित तौर पर गड़बड़ी कर फिर से म्युचुअल ट्रांसफर की योजना बनाई गई। इसके लिए एचआरएमएस (मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली) के माध्यम से दोबारा ऑनलाइन आवेदन किया गया। इस बार आवेदन में बदन सिंह का मोबाइल नंबर बदल दिया गया, ताकि उन्हें म्युचुअल ट्रांसफर से संबंधित कोई जानकारी न मिल सके और यह घोटाला आसानी से अंजाम दिया जा सके।
इसके बाद, जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत के चलते सिस्टम में गड़बड़ी की गई और सुरेश का म्युचुअल ट्रांसफर आगरा मंडल से कोटा हो गया।
काफी समय तक सुरेश के इस म्युचुअल ट्रांसफर की भनक किसी को नहीं लगी। बाद में जब बदन सिंह को इसका पता चला, तो उन्होंने इस म्युचुअल ट्रांसफर पर कड़ी आपत्ति जताई। इसके बाद बदन सिंह लंबी छुट्टी पर चले गए और आखिर में दिसंबर में रिटायर हो गए।
उधर, म्युचुअल ट्रांसफर के बाद भी बदन सिंह के आगरा मंडल में नहीं पहुंचने पर आगरा मंडल ने उनकी मांग की। लेकिन तब तक बदन सिंह रिटायर हो चुके थे। इस गड़बड़ी के कारण कोटा में एक ही पद पर दो कर्मचारियों ने काफी समय तक काम किया, और रेलवे ने दोनों को वेतन का भुगतान किया, जिससे रेलवे को लाखों रुपये का चूना लगा।
इस गड़बड़ घोटाले से उन लोको पायलटों को भारी नुकसान हुआ, जो बरसों से बदन सिंह की जगह पदोन्नति का इंतजार कर रहे थे। ऐसे में इन लोको पायलटों ने मार्च में वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी सुप्रकाश को पत्र लिखकर शिकायत की। उन्होंने रेलवे बोर्ड के नियमों का हवाला देते हुए इस म्युचुअल ट्रांसफर को पूरी तरह गलत और अनैतिक बताया। लेकिन, शिकायत के 4 महीने बीत जाने के बाद भी सुप्रकाश की ओर से मामले में अभी तक कोई कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आई है।
सुप्रकाश की ओर से 4 महीने बाद भी कोई जवाब न मिलने से लोको पायलटों ने अब कोर्ट जाने का मन बना लिया है। उन्होंने कहा है कि यदि प्रशासन समय रहते मामले में कोई निर्णय नहीं लेता है, तो अधिकारियों के इस निर्णय को कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
यह कार्मिक विभाग का नया कारनामा है, लेकिन यह पहला नहीं है। इससे पहले भी कार्मिक विभाग में ट्रांसफर और पदोन्नति में गड़बड़ी के कई मामले सामने आ चुके हैं। ताजा मामला लोको इंस्पेक्टर (एलआई) पदोन्नति परीक्षा का चल रहा है, जिसकी जांच दिल्ली सीबीआई कर रही है। इसमें आरोप है कि परीक्षा के तुरंत बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने लोको पायलटों की आंसर शीट बदल दी थी। कुछ लोको पायलटों की शिकायत के बाद रेलवे विजिलेंस जांच में यह बात साबित भी हो गई थी। लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी विजिलेंस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर यह मामला पहले लोकपाल और फिर दिल्ली विजिलेंस के पास पहुंच गया।
विजिलेंस जांच के बाद प्रशासन ने गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार मानते हुए कल्याण निरीक्षक और कार्यालय अधीक्षक को 9 महीने के लिए निलंबित भी रखा था। लेकिन, 9 महीने निलंबित रखने के बाद भी प्रशासन ने अभी तक उन्हें आरोप-पत्र नहीं थमाए हैं। इसी का परिणाम रहा कि इसमें से एक अधिकारी पद पर भी पदोन्नत हो गया।
इस म्युचुअल ट्रांसफर मामले पर वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, सौरभ जैन ने कहा, "इस म्युचुअल ट्रांसफर मामले की जांच करवाई जाएगी। जांच के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी।"
#कोटारेलवे #म्युचुअलट्रांसफरघोटाला #रेलवेघोटाला #एचआरएमएस #रेलवेभ्रष्टाचार #कोटामंडल #रेलवेकार्मिकविभाग #लोकोपायलट #रेलवेजांच #सौरभजैन
No comments yet. Be the first to comment!
Please Login to comment.
© G News Portal. All Rights Reserved.