कोटा। बहुप्रतीक्षित नीमच-सिंगोली-कोटा नई रेल लाइन की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) लगभग एक साल में तैयार हुई है। अब फरवरी में आने वाले आम बजट में इस परियोजना के लिए राशि आवंटित होने की उम्मीद है, जिसके बाद ही इस रेल लाइन का काम शुरू हो पाएगा। काम में हुई यह देरी इस बार सांसदों की आगामी बैठक में एक बार फिर से प्रमुख मुद्दा बन सकती है।
इस परियोजना के काम में हो रही देरी का मुद्दा पहले भी उठ चुका है।
पिछला घटनाक्रम: गत वर्ष 21 नवंबर को हुई सांसदों की बैठक में, मध्य प्रदेश के मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता इस लाइन के काम में देरी के चलते जबलपुर मुख्यालय के अधिकारियों पर बुरी तरह भड़क गए थे।
बहस: सुधीर गुप्ता ने अधिकारियों से कहा था, "मैं भी कॉमर्स पढ़ा हूं, बेवकूफ नहीं बनाएं अधिकारी। थोड़ी बहुत इंजीनियरिंग मैं भी जानता हूं।"
गुस्से का कारण: उन्होंने सवाल किया था कि जब सर्वे में एक-एक साल लगेगा, तो क्या परियोजना सौ साल में पूरी होगी? उन्होंने कहा कि आज ड्रोन का जमाना है और सर्वे चंद दिनों में पूरा हो सकता है।
निर्देश: अधिकारियों पर नाराज़ गुप्ता ने उस समय तक हुए काम की रिपोर्ट मांगते हुए कहा था कि आगे से उन्हें हर दिन की सर्वे रिपोर्ट चाहिए। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगर काम नहीं करना है तो स्पष्ट मना कर दें, वह इस काम को रेलवे बोर्ड से करा लेंगे।
सांसद गुप्ता का प्रयास था कि यदि सर्वे जल्दी हो जाता तो वह 2024-25 के बजट में ही इसके लिए राशि का आवंटन करवा लेते। काम में देरी के चलते अब इस काम के लिए राशि का प्रावधान अगले बजट (2025-26) में ही होने की संभावना है।
इस बार की बैठक में अमृत भारत योजना के तहत चल रहे विभिन्न स्टेशनों के पुनर्विकास कार्यों में हो रही देरी का मुद्दा भी फिर से उठेगा।
बारां-झालावाड़ा सांसद दुष्यंत सिंह ने पिछली बैठक में यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया था।
उन्होंने महाप्रबंधक (GM) से कहा था कि काम में देरी के चलते यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है और स्टेशनों पर जगह-जगह खुदाई होने से यात्रियों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा भी बना हुआ है।
इससे पहले की बैठकों में भी दुष्यंत सिंह और टोंक-सवाईमाधोपुर से सांसद सुखबीर सिंह जोनपुरिया भी काम की देरी और कथित भेदभाव के आरोप लगाते हुए बैठक छोड़कर चले गए थे।
सांसदों की बैठक में अधिकतर मांगें नई ट्रेनें चलाने और ट्रेनों के ठहराव से संबंधित होती हैं।
सीमाएं: ये मांगें पूरी करना पश्चिम-मध्य रेलवे या कोटा मंडल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।
विलंब: इन मांगों को रेलवे बोर्ड को भेज दिया जाता है, जहां ये लंबे समय तक अटकी रहती हैं। यही कारण है कि सांसदों की अधिकतर मांगें समय पर पूरी नहीं हो पाती हैं।
सांसदों की यह महत्वपूर्ण बैठक गुरुवार को शहर के उम्मेद क्लब भवन में आयोजित होगी। इस बैठक की अध्यक्षता पश्चिम मध्य रेलवे की महाप्रबंधक (GM) शोभना बंदोपाध्याय करेंगी। बैठक के लिए कोटा मंडल परिक्षेत्र के 11 सांसदों को आमंत्रित किया गया है। पिछली बैठक में 11 में से केवल तीन ही सांसद पहुंचे थे।
No comments yet. Be the first to comment!
Please Login to comment.
© G News Portal. All Rights Reserved.