राजस्थान शिक्षा विभाग का नया आदेश: नवगठित जिलों के शिक्षकों को वरिष्ठता गंवाने की चिंता!

राजस्थान शिक्षा विभाग का नया आदेश: नवगठित जिलों के शिक्षकों को वरिष्ठता गंवाने की चिंता!

जयपुर। राजस्थान में नवगठित जिलों में पदस्थापित शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने 'विकल्प पत्र' भरने का नया आदेश जारी किया है, जिसने शिक्षकों की चिंता बढ़ा दी है। इस आदेश के अनुसार, यदि शिक्षक नवगठित जिले में ही रहना चुनते हैं, तो उन्हें अपनी पुरानी वरिष्ठता (Seniority) छोड़नी पड़ सकती है और उन्हें कनिष्ठतम श्रेणी से सेवा जारी रखनी होगी।

 

📝 क्या है शिक्षा विभाग का आदेश?

 

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर की ओर से सभी संभागीय संयुक्त निदेशकों को निर्देश दिए गए हैं कि नए जिलों में पदस्थापित शिक्षकों से विकल्प पत्र भरवाए जाएं। इस पत्र में शिक्षक को यह स्पष्ट करना होगा:

  1. वे नवगठित जिले में ही पदस्थ रहना चाहते हैं।

  2. वे अपने मूल जिले में लौटना चाहते हैं।

विभाग का कहना है कि यह कदम नए जिलों में शिक्षा व्यवस्था को स्थायित्व देने के लिए आवश्यक है।


 

📉 शिक्षकों को होगा 'बड़ा नुकसान'

 

शिक्षक संगठनों और कर्मचारियों का कहना है कि यह फैसला उनके लिए एक बड़ी दुविधा और नुकसान लेकर आया है।

  • वरिष्ठता समाप्ति: कई शिक्षकों का मानना है कि विकल्प पत्र भरने के बाद उनकी छह साल तक की वरिष्ठता समाप्त हो सकती है।

  • दोष किसका? शिक्षकों का तर्क है कि जिलों का पुनर्गठन सरकार का निर्णय था, इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। यदि वे भरतपुर से डीग जिला बनने के बाद वहीं पदस्थ हैं, तो उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए।

  • वरिष्ठता बनाम स्थायित्व: अब शिक्षकों को यह तय करना होगा कि वे वरिष्ठता बचाने के लिए मूल जिले में लौटें, या नए जिले में रहकर स्थायित्व का रास्ता चुनें और कनिष्ठतम बनने का नुकसान उठाएं। सहमति देने वाले शिक्षक नए जिले में स्थाई रूप से पदस्थापित माने जाएंगे।

"यह शिक्षकों के साथ नाइंसाफी है। पुलिस और अन्य विभागों में तो कर्मचारियों से पहले ही गृह जिले में जाने के लिए विकल्प पत्र भरवा लिए गए थे, लेकिन शिक्षा विभाग के शिक्षक अब तक असमंजस में हैं। शिक्षकों की वरिष्ठता समाप्त नहीं की जाए।"

— पवन शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ सियाराम

 

💬 जल्दबाजी में लिया गया फैसला?

 

शिक्षक संगठनों ने इस आदेश को जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया है और कहा है कि उन्हें विचार-विमर्श का पर्याप्त समय नहीं दिया गया। सोशल मीडिया ग्रुपों में इसे 'वरिष्ठता गंवाने की कीमत पर तबादला' कहकर चर्चा की जा रही है।

 

📌 अधिकारियों का रुख

 

जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक भरतपुर, सुरेन्द्र गोपालिया ने कहा कि यह नियम पहले से है कि तृतीय श्रेणी शिक्षक का दूसरे जिले में और सेकंड ग्रेड अध्यापक का संभाग बदलने पर वरिष्ठता विलोपित हो जाती है। उन्होंने कहा कि नए जिलों को लेकर आए विशेष आदेश की जानकारी उनके संज्ञान में अभी नहीं है।

शिक्षा विभाग के इस आदेश ने नए सत्र की शुरुआत से पहले ही शिक्षकों के बीच भारी हलचल और असमंजस पैदा कर दिया है।


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