कोटा। कोटा-सवाई माधोपुर रेलखंड पर स्थित इंद्रगढ़-आमली स्टेशनों के बीच गति शक्ति प्रोजेक्ट के तहत लगाई गई लोहे की फेंसिंग चोरी होने का मामला सामने आया है। यह घटना 22 जून की रात की बताई जा रही है, जिससे रेलवे में हड़कंप मच गया है। जानवरों को रेल पटरी पर आने से रोकने के लिए दोनों तरफ लगाई गई इस फेंसिंग का मूल्य करीब डेढ़ लाख रुपये बताया जा रहा है, जबकि आरपीएफ इसे 35 हजार रुपये मूल्य की चोरी बता रही है। प्रत्येक प्लेट का वजन लगभग 40 किलो है।
बताया जा रहा है कि ठेकेदार द्वारा लगाए गए खंभों के बीच नट-बोल्ट से नालीनुमा लंबी-लंबी प्लेटें लगाई गई थीं। चोरों ने बड़ी चालाकी से नट-बोल्ट खोलकर करीब 50 प्लेटें चुरा लीं। चोरों ने ये प्लेटें अप और डाउन, दोनों लाइनों के पास से चुराईं और उन्हें पास खड़ी एक पिकअप वैन में भरकर ले गए। यह पिकअप वैन डाउन लाइन के पास खड़ी थी और चोरों ने पटरी पार करके अपलाइन की प्लेटों को भी उसमें रखा।
चोरी का मामला सामने आने के बाद रेलवे में हड़कंप मच गया। लाखेरी आरपीएफ चौकी पर मामला दर्ज कर तुरंत चोरों की तलाश शुरू की गई। चोरों को पकड़ने के लिए आरपीएफ ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। कोटा और सवाई माधोपुर के अलावा अन्य जगहों से भी आरपीएफ की अपराध और खुफिया शाखा के जवान चोरों की तलाश में दिन-रात जुटे हुए हैं।
काफी मशक्कत के बाद आरपीएफ एक आरोपी को पकड़ने में सफल हो सकी है। इस आरोपी का नाम शंकर मीणा बताया जा रहा है, जो घटनास्थल के पास के गांव शेरगंज का निवासी है। बाकी के आरोपी भी इसी गांव के और आपस में रिश्तेदार बताए जा रहे हैं। शंकर के पकड़े जाने की सूचना मिलते ही बाकी सभी आरोपी फरार हो गए। आरपीएफ ने शंकर को कोटा अदालत में पेश किया, जहाँ से उसे 3 दिन की रिमांड पर भेजा गया है। रिमांड अवधि पूरी होने के बाद शंकर को सोमवार को कोटा रेलवे कोर्ट में फिर से पेश किया जाएगा।
रिमांड के दौरान पूछताछ में शंकर ने उनियारा में एक कबाड़ी को ये प्लेटें बेचने की बात कबूल की है, लेकिन आरपीएफ के पहुंचने से पहले ही कबाड़ी भी फरार हो गया। इसके चलते आरपीएफ अभी तक चोरी गया माल बरामद नहीं कर सकी है। आरपीएफ द्वारा शंकर को ही मुख्य आरोपी बताया जा रहा है। माल ले जाने वाली पिकअप वैन भी शंकर की ही बताई जा रही है, जिसे आरपीएफ ने जब्त कर लिया है।
सूत्रों ने बताया कि चोरों ने इस घटना के करीब 15 दिन पहले भी इसी जगह फेंसिंग चोरी करने का प्रयास किया था। मौके पर रेल कर्मचारियों को कई प्लेटों के नट-बोल्ट खुले मिले थे। सूचना मिलने पर आरपीएफ ने भी मामले की जांच की थी, लेकिन तब आरपीएफ ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया था, जिसके परिणामस्वरूप बाद में ये प्लेटें चोरी हो गईं। यदि आरपीएफ उस समय गंभीर होती तो चोरों को रंगे हाथों पकड़ा जा सकता था।
लाखेरी रेलखंड में एक साल के भीतर चोरी की यह दूसरी बड़ी घटना है। इससे पहले, इसी रेलखंड में चोरों द्वारा कई जगह से सिग्नल केबल चुराने का मामला सामने आया था। एक के बाद एक लगातार केबल चोरी की घटनाओं से आरपीएफ की नींद उड़ गई थी। तब चोरों की तलाश में जबलपुर और भोपाल तक के आरपीएफ जवानों को लाखेरी रेलखंड में लगाया गया था। बाद में आरपीएफ ने एक पिकअप वैन जब्त कर कई आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था।
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