जयपुर: जयपुर जिले के दूदू में एक चौंकाने वाला फर्जी पट्टों का घोटाला सामने आया है। दूदू के तत्कालीन सरपंच (वर्तमान नगर पालिका सभापति) कमलेश चौधरी और पंचायत कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने मार्च से मई 2023 के बीच, जब पंचायत को नगर परिषद में बदला जा रहा था, उस समय अपने परिवार और रिश्तेदारों को सरकारी जमीन के दर्जनों पट्टे जारी कर दिए।
जांच में सामने आया है कि करीब 3 दर्जन से ज्यादा फर्जी पट्टे जारी किए गए हैं। इनमें सरपंच के देवर-देवरानी, जेठ-जेठानी, सास-ससुर और अन्य रिश्तेदारों के नाम शामिल हैं। इन पट्टों के पंजीयन दस्तावेजों में भी गवाह परिचित लोग ही हैं।
नियमों की धज्जियां
राजस्थान पंचायती राज अधिनियम की धारा-157ए के अनुसार, केवल 50 साल से पुराने निर्मित मकानों का ही नियमितीकरण कर पट्टा जारी किया जा सकता है। लेकिन इस मामले में खाली सरकारी जमीन को 50 साल से बसी हुई दिखाकर पट्टे जारी कर दिए गए। गूगल मैप की पड़ताल से भी साफ हुआ है कि 2023 तक यह जमीन पूरी तरह खाली थी। मौके पर सिर्फ बाउंड्रीवाल ही मिली, कोई पुराना निर्माण या बसावट नहीं थी।
जांच कमेटी ने की पुष्टि
जिला कलेक्टर द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी, जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त कलेक्टर मुकेश मुंड कर रहे थे, ने भी इस फर्जीवाड़े की पुष्टि की है। कमेटी की जांच में पता चला कि ये पट्टे बावरी जाति के लोगों के नाम पर जारी होने वाले पट्टों की आड़ में दिए गए थे। ज्यादातर पट्टे 31 मार्च 2023 को जारी किए गए, ताकि पंचायत से नगर परिषद बनने से पहले यह 'खेल' पूरा हो सके।
राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी
यह घोटाला उस समय हुआ जब दूदू को जिला बनाने और पंचायत को नगर परिषद में बदलने की घोषणा हुई थी। इस बड़े घोटाले के उजागर होने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है और सवाल उठ रहे हैं कि बिना किसी राजनीतिक संरक्षण के इतना बड़ा फर्जीवाड़ा कैसे संभव हुआ।
क्या कहते हैं आरोपी?
तत्कालीन सरपंच और वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष कमलेश देवी चौधरी ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि "हमने आबादी भूमि में सभी वर्गों को पंचायती राज अधिनियम के तहत ही पट्टे जारी किए हैं।"
वहीं, तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी रतन शर्मा ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है और जांच रिपोर्ट के आधार पर बुलाए जाने पर ही वह जवाब देंगे।
पट्टों का वितरण, परिवार के सदस्यों के नाम पर:
जेठ-जेठानी (हरजीराम और बाली देवी): 4 पट्टे (598.44 वर्ग गज)
जेठ-जेठानी (नानूराम और शांति देवी): 3 पट्टे (686.77 वर्ग गज)
देवर (कालूराम और हनुमान): 7 पट्टे (1252.59 वर्ग गज)
देवरानी (रामफूल): 1 पट्टा (283.33 वर्ग गज)
जेठ पुत्र (रमेश, सुरेश और मुकेश): 3 पट्टे (761.44 वर्ग गज)
काका ससुर, सास और उनका पुत्र (भंवरलाल, रुकमा देवी और जगदीश): 3 पट्टे (513 वर्ग गज)
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