कोटा। रेलवे के कैरिज एंड वैगन विभाग से गार्ड की ट्रेनिंग के लिए भेजे गए सरप्लस कर्मचारियों का मामला अब गहराता जा रहा है। इस प्रकरण को लेकर सोमवार को इन कर्मचारियों की पत्नियों ने डीआरएम अनिल कालरा से मुलाकात की और अपनी पीड़ा बताई।
पत्नियों ने डीआरएम कालरा को अवगत कराया कि कैरिज विभाग के अधिकारी उन्हें और उनके पतियों को बेवजह परेशान कर रहे हैं। उनके पतियों को भार मुक्त करने के बावजूद अधिकारियों ने जबरन चार्ज शीट जारी कर दी। चूंकि कर्मचारी घर पर नहीं थे, इसलिए ये चार्ज शीट जबरदस्ती उनकी पत्नियों को थमाई गईं, और कुछ मामलों में तो घर पर कोई न मिलने पर चार्ज शीट दरवाजे पर चस्पा कर दी गईं।
उन्होंने डीआरएम को बताया कि उनके पति रेलवे के आदेश का पालन करते हुए गार्ड की ट्रेनिंग के लिए गए हैं और उन्होंने इसके लिए सभी आवश्यक प्रक्रियाएं भी पूरी की हैं। लेकिन इसके बावजूद, कैरिज विभाग के अधिकारी कर्मचारियों पर ट्रेनिंग से वापस लौटने का दबाव डाल रहे हैं। इस स्थिति के कारण कर्मचारी, उनकी पत्नियाँ और पूरा परिवार अत्यधिक तनाव में है।
यह है पूरा मामला:
दरअसल, कार्मिक विभाग ने कैरिज एंड वैगन विभाग के छह कर्मचारियों को सरप्लस घोषित कर दिया था। सरप्लस होने के बाद, कैरिज एंड वैगन विभाग ने इन कर्मचारियों को भार मुक्त भी कर दिया था। इसके उपरांत, कार्मिक विभाग के आदेश पर ये कर्मचारी 15 जुलाई को गार्ड की ट्रेनिंग के लिए उदयपुर चले गए।
हालांकि, इसके बाद कैरिज एंड वैगन विभाग के अधिकारियों ने कर्मचारियों को ट्रेनिंग पर जाने से रोकने की हरसंभव कोशिश की। यहां तक कि आधी रात को ट्रेन चलने तक भी अधिकारी अपनी कोशिशों में लगे रहे। लेकिन जब कर्मचारी ट्रेनिंग के लिए रवाना हो गए, तो कैरिज एंड वैगन विभाग के अधिकारियों ने उन्हें चार्ज शीट जारी कर दी। यह तब किया गया, जब भार मुक्त होने के बाद ये कर्मचारी कैरिज एंड वैगन विभाग का हिस्सा नहीं रह गए थे। कर्मचारियों के बीच यह मामला खासा चर्चा का विषय बना हुआ है।
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