गैर-मान्यता प्राप्त रेलवे संगठनों की याचिकाओं पर रेलवे बोर्ड चिंतित

गैर-मान्यता प्राप्त रेलवे संगठनों की याचिकाओं पर रेलवे बोर्ड चिंतित

 

कोटा। रेलवे बोर्ड ने गैर-मान्यता प्राप्त रेलवे संगठनों द्वारा अदालतों में बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर किए जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। बोर्ड का कहना है कि इन संगठनों के वास्तविक और विधि सम्मत सदस्यों की पहचान करना संभव नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण कानूनी प्रक्रिया में जटिलता आ रही है।

🚫 पहचान करना कठिन

रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे को निर्देश देते हुए अपनी चिंता बताई है। बोर्ड के अनुसार:

  • मान्यता रहित संघों (याचिकाकर्ताओं) की उनके वास्तविक सदस्यों की जानकारी पंजीकरण के समय बोर्ड को उपलब्ध नहीं होती है।

  • जिन सदस्यों द्वारा न्यायालय में मूल आवेदन (O.A.) दायर किया जाता है, उनकी सदस्यता भी रेलवे के पंजीकरण अभिलेखों में उपलब्ध नहीं है।

📜 बोर्ड का निर्देश और कार्रवाई की सिफारिश

ऐसी स्थिति से निपटने के लिए रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे को सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है:

  • याचिका खारिज करने की सिफारिश: बोर्ड ने कहा है कि ऐसे मामलों में मूल आवेदन (O.A.) को इसी आधार पर खारिज किए जाने की सिफारिश की जा सकती है कि याचिकाकर्ता की सदस्यता सत्यापित नहीं है।

  • कानूनी परामर्श: यह पूरी प्रक्रिया संबंधित रेलवे अधिवक्ता (Railway Counsel) से परामर्श करने के बाद ही पूरी की जाए।

🛡️ शर्मिंदगी से बचने की सलाह

रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को इस संबंध में आवश्यक निर्देश प्रसारित करने और उनकी कड़ी निगरानी करने को कहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि रेलवे प्रशासन किसी भी प्रकार की असहज या शर्मिंदगीपूर्ण परिस्थिति (Embarrassing Situation) से बच सके, जो इन अपंजीकृत संस्थाओं के मामलों से उत्पन्न हो सकती है।


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